गहलोत-पायलट की लड़ाई के बीच कूदे पूनिया, कहा- कांग्रेस आलाकमान देखे, उनकी पार्टी में गद्दार कौन?
Satish Poonia : सतिश पूनिया ने सीएम के बयान को पूअर फेस सेविंग डिफेन्स बताते हुए कहा कि कांग्रेस आलाकमान देखे कि उनकी पार्टी में गद्दार कौन?
Satish Poonia : मुख्यमन्त्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट के साथ बीजेपी को भी लपेटा, पूनिया ने सीएम के बयान को बताया पूअर फेस सेविंग डिफेन्स. पूनिया ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान देखे, उनकी पार्टी में गद्दार कौन? मुख्यमन्त्री अशोक गहलोत ने साल 2020 में प्रदेश में हुई राजनीतिक अस्थिरता के दौर की चर्चा पर कहा कि तब सचिन पायलट ने अपनी ही पार्टी की सरकार गिराने की कोशिश की थी. अपनी पार्टी के नेता को घेरने के साथ ही मुख्यमन्त्री ने इस मामले में बीजेपी को भी घसीट लिया. सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि तब कांग्रेस के नेताओं को बीजेपी के दफ्तर से पैसे दिए गए. उन्होंने केन्द्रीय मन्त्री धर्मेन्द्र प्रधान का नाम भी लिया. ... अब मुख्यमन्त्री के ज़ुबानी हमले के बाद बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने अपनी पार्टी का बचाव करने के साथ ही मुख्यमन्त्री पर ही सवाल खड़े कर दिए. पूनिया ने मुख्यमन्त्री के आरोपों को पूअर डिफेन्स और फेस सेविंग की कोशिश बताते हुए बीजेपी पर लगाए आरोपों को खारिज किया तो राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि राहुल गांधी की यात्रा राजस्थान में दाखिल होने से पहले ही मुख्यमन्त्री ने 'कांग्रेस तोड़ो यात्रा' का आगाज़ कर दिया है.
बीजेपी पर मुख्यमन्त्री की तरफ़ से लगाये गए आरोपों को निराधार और पॉलिटिकल स्टंट बताते हुए सतीश पूनिया ने कहा कि मुख्यमन्त्री अशोक गहलोत तो आरोप लगाने के आदी हो गए हैं. उन्होंने कहा कि शायद अपने पाप ढंकने के लिए और फेस सेविंग के लिए गहलोत बीजेपी पर इस तरह के आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने इसे पूअर डिफेन्स की संज्ञा दी. पूनिया ने कहा कि हकीकत यह है कि, विग्रह उनका था, अन्तर्कलह और अन्तर्द्वन्द भी उनका था. पूनिया ने कहा कि पिछले चार साल में वे यह स्थापित नहीं कर पाए कि गद्दार कौन था? उन्होंने कहा कि गद्दारी तो कांग्रेस में है. पूनिया ने कांग्रेस के आलाकमान को नसीहत भरा सुझाव देते हुए कहा कि अब तो कांग्रेस आलाकमान को ही यह देखना है कि गद्दार कौन था?
बीजेपी दफ्तर से पैसा जाने के आरोपों को बताया कुतर्क - कहा - कुर्सी बचाने के लिए क्या कुछ नहीं किया गहलोत ने?
सीएम अशोक गहलोत ने 2020 के घटनाक्रम में बीजेपी कार्यालय से पैसे दिए जाने और इसके सबूत होने की बात भी कही. इस पर सतीश पूनिया बोले कि, मैं भी कह सकता हूं कि कांग्रेस ने कुर्सी बचाने के लिए जाने क्या क्या किया होगा? लेकिन उनके पास इस बारे में कोई सबूत नहीं हैं. उन्होंने कहा कि राजनीति में चलती-फिरती बात की कोई तवज्जो नहीं हैं. पूनिया ने कहा कि सीएम की बातों से लगता है कि पार्टी के विग्रह को ढंकने केलिए उन्होनें कुतर्क का सहारा लिया है. पूनिया बोले कि, उन्हें इस मामले में कोई दम नज़र नहीं आता.
सचिन पायलट से सांठगांठ को पूनिया ने किया खारिज
मुख्यमन्त्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट को बीजेपी नेताओं के समर्थन की बात भी कही, लेकिन सतीश पूनिया का कहना है कि उनके दावे में कोई दम नहीं है. सचिन पायलट से बात या मुलाकात के सवाल पर पूनिया ने कहा कि, वे न तो पायलट से मिले न ही इस बात की ज़रूरत थी. पूनिया ने कहा कि इसकी ज़रूरत न तो पहले थी, न आज है.
राजभवन में शपथ के बाद लगे थे दो-दो मुख्यमन्त्रियों के नारे - पूनिया
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि बीजेपी को कांग्रेस के कुनबे की तस्वीर तो इस सरकार के शुरू होने के साथ ही दिख गई थी. पूनिया ने कहा कि जब 2018 में सीएम और डिप्टी सीएम की शपथ हुई तो दो-दो मुख्यमन्त्रियों के नारे राजभवन में लगे थे. उन्होंने कहा कि ऐसा कभी नहीं हुआ जब किसी पार्टी को अपने डिप्टी सीएम और पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष को बर्खास्त करना पड़ा.
किसके पीले चावल, किसकी खिचड़ी?
सतीश पूनिया ने कहा कि उन्होंने सचिन पायलट को सरकार गिराने के लिए कोई 'पीले चावल' नहीं दिए थे. पूनिया बोले कि यह उनका अपना मसला था. उन्होंने कहा कि बीजेपी को तो सिर्फ एक कारक बनाने की कोशिश कांग्रेस और अशोक गहलोत ने की है. जबकि झगड़ा उनका अपना था, दोष उनका और पाप भी उनका अपना ही था. पूनिया ने कहा कि अपने बचाव के लिए गहलोत ने बीजेपी को जरिया बना लिया. पूनिया ने कहा कि न तो उन्होंने 'पीले चावल' दिए और न खिचड़ी पकाई. पूनिया बोले कि, जब यह खिचड़ी पक रही थी तो वे तो दूर-दूर तक नहीं थे. उन्होंने कहा कि बीजेपी तो चर्चाओं में तक नहीं थी. पूनिया ने इतना ज़रूर कहा कि बीजेपी तो सिर्फ अशोक गहलोत की तरफ़ से लगाए आरोपों में ही थी. पूनिया ने कहा कि हर बार मुख्यमन्त्री सबूत होने की बात कहते हैं, लेकिन यह भी निराधार है. पूनिया ने कहा कि चार साल सत्ता में रहते हुए गहलोत ने पुलिस को सुरक्षा की बजाय जासूसी में ही ज्यादा लगाए रखा है. उन्होंने मुख्यमन्त्री के बयान और आरोपों को पूरी तरह सियासी बताते हुए कहा कि गहलोत इस तरह के आरोप लगाने के आदी हैं.