Sawan 2023: कौन थी भगवान शिव की 5 बेटियां जिन्हें माता पार्वती भी नहीं जान पाई थी
Sawan 2023: सावन महीने में शिव परिवार में आप भगवान शिव, माता पार्वती और उनके दो पुत्र गणेश और कार्तिकेय की पूजा करते है. लेकिन क्या आपको पता है भगवान शिव की पांच और बेटियां थीं, जिनका जन्म रहस्यमयी तरीके से हुआ. इनका पूजन कब और कैसे किया जाता.
Sawan 2023: सावन का महीना भगवान भोलेनाथ का प्रिय महीना माना जाता है. यह महीना शिव भक्तों के लिए बेहद खास होता है. सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है. सावन माह का हर दिन भक्तों के लिए फलदायी होता है. इस पावन महीने में भगवान शिव कैलाश से अपने परिवार समेत पृथ्वी पर आते हैं. तभी तो सावन महीने में शिवालयों में हर हर महादेव की गूंज होती है. शिवालयों में भगवान भोले नाथ समेत पूरे परिवार का अभिषेक किया जाता है. ऐसे में भगवान भोलेनाथ के शिव परिवार के बारे में जानना बेहद जरूरी है, जिनमें नंदी भी शामिल है.
भोलेनाथ के शिव परिवार में कौन कौन शामिल
शिव परिवार में आप भगवान शिव, माता पार्वती और उनके दो पुत्र गणेश और कार्तिकेय के बारे में जानते हैं लेकिन क्या आपको पता है भगवान शिव की पांच और बेटियां थीं, जिनका जन्म रहस्यमयी तरीके से हुआ. ऐसे में जानेंगे कि भगवान शिव और माता पार्वती की वो कौन सी 5 पुत्रियों है और इनके क्या क्या नाम हैं. इनका पूजन कब और कैसे किया जाता जानते हैं.
मधुश्रावणी की कथा में है वर्णित
भगवान शिव के पुत्र गणेश और कार्तिकेय के बारे में शिवभक्त तो जानते हैं लेकिन उनकी पांच पुत्रियों के बारे में हम जो जानकरी देने जा रहे है वो बहुत रोचक भरा है. हां आजकल कथा सतसंग में चर्चा जरूर हो रही है. ऐसे में विस्तार से जानेंगे भगवान शिव के पांच बेटियों के बारे में. मधुश्रावणी की कथा में भगवान शिव और माता पार्वती की पांच बेटियों की वर्णन मिलता है.
इस कथा में वर्णित मान्यताओं के अनुसार एकबार भगवान शिव गंगा में स्नान करने गए थे. भगवान भोलेनाथ के तप साधना में उनका पसीना बहा. उस पसीने से पांच कन्याओं का जन्म हुआ, लेकिन ये कन्याएं मनुष्य रूप में होकर ना नाग रूप में थीं.
माता पार्वती को नहीं थी इसकी जानकारी
माता पार्वती को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी कि शिवलीला से पांच नाग कन्याओं का जन्म हुआ है, लेकिन भगवान शिव को सब पता था और वह उनसे गणेश और कार्तिकेय की तरह स्नेह भी रखते थे, इसलिए वह हर सुबह जाकर सरोवर के पास पांच नाग कन्याओं से मिलते थे और उनके साथ खेलते थे. ऐसा कई दिनों तक निरंतर चलता रहा.
एक दिन माता पार्वती को शक हुआ कि आखिर महादेव मुझे बताए इतनी सुबह कहां जाते हैं, इसलिए उन्होंने तय किय कि वह इस रहस्य को जानकर रहेंगी. तब माता पार्वती भी उनके पीछे-पीछे सरोवर तक पहुंच गईं. माता पार्वती ने देखा कि महादेव उन पांच नाग कन्याओं के साथ खेल रहे हैं. ये देख माता पार्वती को बेहद क्रोध आया.
माता पार्वती को आया था क्रोध
माता पार्वती को यह देखकर क्रोध आ गया और उन्होंने क्रोध के वशीभूत होकर पांच नाग कन्याओं को मारना चाहा. जैसे ही उन्होंने मारने के लिए पैर उठाया तभी भोलेनाथ ने उनको रोककर बताया कि ये पांचों नाग कन्याएं आपकी पुत्री हैं. महादेव की इस बात से माता पार्वती हारान होकर देखने लगीं, फिर नाग कन्याओं ने देवी पार्वती को कन्याओं के जन्म की कथा बताई. शिवजी की कथा सुनकर माता पार्वती जोर-जोर से हंसने लगीं.
भगवान शिव की इन नाग कन्याओं का नाम
भगवान शिव की इन नाग कन्याओं का नाम जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि है. भगवान शिव ने अपनी पुत्रियों के बारे में बताते हुए कहा कि जो भी सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन इन नाग कन्याओं की पूजा करेगा, उनके परिवार को सर्पदंश का भय नहीं रहेगा. साथ ही इन देवियों की कृपा से घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती. यही कारण है कि सावन कृष्ण पंचमी और सावन शुक्ल पंचमी के दिन इन पांच नाग कन्याओं की पूजा की जाती है.
एक और कथा पुराणों में शिव की तीनों पुत्रियों का वर्णन है. अशोक सुंदरी, ज्योति या मां ज्वालामुखी और देवी वासुकी या मनसा. देश के कई हिस्सों में इनकी पूजा की जाती है.
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अशोक सुंदरी
कहा गया है कि शिव जी की बड़ी बेटी अशोक सुंदरी है. देवी पार्वती ने अपना अकेलापन दूर करने के लिए इन्हें जन्म दिया था. देवी पार्वती के समान ही अशोक सुंदरी बेहद सुंदर थीं. इसलिए उन्हें अशोक सुंदरी कहा जाता है. अशोक नाम इसलिए दिया गया क्योंकि वह पार्वती के अकेलेपन का शोक दूर करने आई थीं. शिवालयों में अशोक सुंदरी की पूजा की जाती है. वैसे खासतौर पर गुजरात में इनकी पूजा धूमधाम से की जाती है.
ज्योति
शिव जी की दूसरी पुत्री का नाम ज्योति है. ज्योति का जन्म शिव जी के तेज से हुआ था और वह उनके प्रभामंडल का स्वरूप हैं. दूसरी मान्यता के अनुसार ज्योति का जन्म पार्वती के माथे से निकले तेज से हुआ था. देवी ज्योति का दूसरा नाम ज्वालामुखी भी है और तमिलनाडु कई मंदिरों में उनकी पूजा होती है.
मनसा
हरिद्वार में मनसा देवी का प्रसिद्ध मंदिर है. मनसा देवी को नागलोक की देवी माना जाता है. उन्हें विष की देवी भी कहा जाता है. मनसा शिव की मानस पुत्री है. ये शिव के गले में विराजमान रहती है. मनसा का जन्म भी कार्तिकेय की तरह पार्वती के गर्भ से नहीं हुआ था.
बताया जाता है मनसा का एक नाम वासुकी भी है और पिता, सौतेली मां और पति द्वारा उपेक्षित होने की वजह से उनका स्वभाव काफी गुस्से वाला माना जाता है. आमतौर पर उनकी पूजा बिना किसी प्रतिमा या तस्वीर के होती है. इसकी जगह पर पेड़ की कोई डाल, मिट्टी का घड़ा या फिर मिट्टी का सांप बनाकर पूजा जाता है. चिकन पॉक्स या सांप काटने से बचाने के लिए उनकी पूजा होती है.