Jaipur: बलात्कारियों को फांसी की सजा देने के कानून पर दिए बयान पर सीएम गहलोत ने पलटवार किया है. CM गहलोत ने कहा कि 'यह' बकवास करने वाले लोग हैं, यह षड्यंत्र करते हैं जो बात मैंने कहीं वह वीडियो में सबके सामने है.


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सीएम गहलोत ने कहा, '' जो बात मैंने कही वो सुना दीजिए. आम जनता समझ रही है, बस इनको समझ नहीं आती. फांसी की सजा का सोच समझकर कानून बनाया गया था. फांसी से बचने के लिए बलात्कारी पीड़िता का मर्डर कर देते हैं. बीजेपी वाले ऐसी ऊल-जलूल बातें करते हैं और ऐसे फेक वीडियो वायरल करते हैं.''


कानून में बदलाव को लेकर मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि भारत सरकार और राज्य सरकारों को सोचने की बात है. मैंने सिर्फ हकीकत जनता के सामने रखी है. बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा की प्रदेश में रेपिस्ट को फांसी की सजा देने का कानून बनने के बाद सबूतों को मिटाने के लिए रेपिस्ट मासूम बालिकाओं की हत्या कर देते हैं. इस वजह से रेप के बाद हत्या के मामले बढ़े हैं.


इस बयान को लेकर बीजेपी ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधा है. बीजेपी प्रवक्ता और विधायक रामलाल शर्मा ने CM के बयान की निंदा करते हुए कहा इस तरह का बयान देकर मुखिया ने सरकार की नाकामी को सिद्ध कर दिया है. सरकार दुष्कर्म जैसे मामलों को रोकने में विफल रही है. उन्होंने मुख्यमंत्री पर चुटकी लेते हुए कहा प्रदेश के मुखिया समय-समय पर अपनी जादूगरी दिखाते रहते हैं. भले ही यह जादूगरी जनता स्वीकार करें या नहीं करे, पर जादूगर पीछे नहीं रहते हैं.


वहीं नीति आयोग की बैठक पर राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि ईआरसीपी हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. 13 जिलों में सिंचाई और पीने का पानी उपलब्ध करवाने की परियोजना है. हम चाहते है यह राष्ट्रीय परियोजना घोषित हो. यह 13 जिले तिलहन दलहन उत्पादन का एरिया है. दलहन तिलहन और ऑयल के लिए भारत सरकार को एक लाख करोड़ खर्च करने पड़ते हैं. सरसों उत्पादन में हम अभी पहले नंबर पर हैं.


CM ने कहा कि GST का पांच हजार करोड़ रूपये हमारा बकाया है. अभी एक किस्त आई हैं. यह सारे मुद्दे हमने लिखित में भारत सरकार को दिए हैं. सीएम ने कहा कि 15वें वित्त आयोग ने हमारे लिए डिजिटल फिनटेक यूनिवर्सिटी रिकमेंडेशन की थी. जोधपुर में बनने वाली 600 करोड की डिजिटल यूनिवर्सिटी सैंक्शन करने की मांग रखी. हमने राजस्थान में बजट में इसकी घोषणा भी की है. सीएम ने कहा कि तमाम योजनाओं के लिए केंद्र और राज्य सरकारों का रेशो 60:40 के बजाय 75:25% कार्य करना चाहिए. जिससे सभी जनकल्याणकारी योजनाएं समय पर पूरी की जा सके.


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