Jaipur: नगर निगम ग्रेटर मेयर पद से डॉ. सौम्या गुर्जर को बर्खास्त करने के बाद राज्य सरकार ने फिर से एक बार भाजपा की शील धाभाई पर दूसरी बार भरोसा जताया है और कार्यवाहक तौर पर 60 दिन के लिए भाजपा पार्षद शील धाभाई को निगम ग्रेटर मेयर की जिम्मेदारी सौंपी है. बुधवार को शील धाभाई फिर मेयर की कुर्सी संभालेंगी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

धाभाई इससे पहले भी इसी बोर्ड (कार्यकाल) में 7 जून 2021 से 1 फरवरी 2022 तक 8 महीने तक कार्यवाहक मेयर रही हैं. ये दूसरा मौका है, जब वह महापौर की कुर्सी पर बैठेंगी. शील धाभाई वार्ड नंबर 60 से भाजपा की पार्षद है और वर्तमान में वित्त समिति की चेयरमैन भी हैं. राज्य सरकार ने पिछले साल 6 जून को जब सौम्या गुर्जर को निलंबित किया था, तब सरकार ने 7 जून को आदेश जारी करते हुए शील धाभाई को कार्यवाहक मेयर बनाया था, जो 1 फरवरी 2022 तक मेयर रही थी.


यह भी पढे़ं- सुप्रीम कोर्ट का स्टे हटने के साथ डॉ. सौम्या गुर्जर पर गिरी गाज, मेयर पद से बर्खास्त


 


राज्य सरकार ने जारी किया आदेश
स्वायत्त शासन विभाग की ओर से शील धाभाई को नगर निगम ग्रेटर की कार्यवाहक महापौर के आदेश जारी करते हुए जिक्र किया कि डॉ. सौम्या गुर्जर को महापौर और सदस्य पद से हटाते हुए आगामी 6 वर्ष तक पुर्ननिर्वाचन के लिए निर्योग्य घोषित किया गया है. नगर निगम ग्रेटर जयपुर में महापौर का पद अन्य पिछड़ा वर्ग (महिला) के लिए आरक्षित है. राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 50 (1) के प्रावधानों के को देखते हुए अन्य पिछड़ा वर्ग की महिला को ही महापौर का कार्यभार दिया जाना विधि सम्मत है. क्योकि उप महापौर सामान्य श्रेणी से है. इसलिए शील धाभाई, अन्य पिछड़ा वर्ग (महिला) सदस्य वार्ड संख्या 60 नगर निगम ग्रेटर जयपुर की वरिष्ठता, अनुभव और नगर निगम ग्रेटर- जयपुर में राजनैतिक दल के बहुमत को मद्धेनजर रखते हुए नगर निगम ग्रेटर जयपुर को महापौर के पद का कार्यभार सौपा जाता है. कार्यभार की अवधि आगामी 60 दिवस अथवा राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त अन्य आदेश जो भी पूर्व हो, तक के लिए दी जाती है.


संघर्ष जीवन है और वे आगे भी अपना संघर्ष जारी रखेंगी- डॉ. सौम्या
उधर राज्य सरकार के बर्खास्त के फैसले पर सौम्या गुर्जर ने कोई खास प्रतिक्रिया न देते हुए कहा कि संघर्ष ही उनका जीवन है और वे आगे भी अपना संघर्ष जारी रखेगी. इधर अपने सस्पेंशन से पहले तय शेड्यूल के मुताबिक सौम्या गुर्जर वार्ड 23 के पार्षद कार्यालय का उदघाटन करने विद्याधर नगर जा रही थी. लेकिन आदेश की कॉपी मिलने के बाद वह बीच रास्ते से ही वापस घर लौट गई.


राज्य सरकार की ओर से आदेश जारी होते हटाई नेम प्लेट
राज्य सरकार की ओर से डॉ. सौम्या गुर्जर के बर्खास्त के सुबह आदेश जारी करने के बाद जब नगर निगम मुख्यालय में अधिकारी-कर्मचारी पहुंचे तो उन्होंने पहले तो मेयर के चैंबर को खोला नहीं. उसके बाद मेयर के चैंबर के बाहर लगी नेम प्लेट पर से सौम्या गुर्जर के नाम को चाकू-पत्ती से खुरोचकर हटाया गया. नगर निगम प्रशासन के इस रवैये की उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने आलोचना की. उन्होंने कमिश्नर महेन्द्र सोनी को पत्र लिखा और कहा कि इस तरह से चाकू से कुरेद-कुरेद कर नाम हटाना अशोभनीय है. ऐसी क्या जल्दबाजी थी कि इतनी जल्दी उनका नाम और इस तरह से हटाया गया.


 जयपुर नगर निगम में अब तक ये रहे मेयर
- मोहन लाल गुप्ता (1994-1999) : मोहन लाल गुप्ता जयपुर के पहले मेयर बने, जिन्होने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया.
- निर्मला वर्मा और शील धाभाई (1999-2004) : 1999 में  भाजपा ने निर्मला वर्मा को मेयर बनाया. मेयर के कार्यकाल के दौरान ही वर्मा की मौत हो गई. जिसके बाद उनकी जगह शील धाभाई को जयपुर मेयर चुना.  
- अशोक परनामी और पंकज जोशी (2004-2009): अशोक परनामी 2004 से 2008 तक जयपुर के मेयर रहे. आदर्शनगर से परनामी के विधायक निर्वाचित होने के तत्कालीन डिप्टी मेयर पंकज जोशी को जयपुर को मेयर चुना गया.
- ज्योति खंडेलवाल (2009-2014): 2009 में पहली मेयर के प्रत्यक्ष चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस की ज्योति खंडेलवाल को जनता ने सीधे मेयर के रूप में चुना.
- निर्मल नाहटा, अशोक लाहोटी व विष्णु लाटा (2014-2019): 2014 में हुए चुनाव के बाद भाजपा के निर्मल नाहटा जयपुर के सातवें मेयर निर्वाचित हुए. अंदरूनी राजनीति के चलते दिसंबर 2016 में नाहटा को मेयर पद से हटाकर अशोक लाहोटी को मेयर बना दिया. वर्ष 2018 में सांगानेर से विधायक निर्वाचित होने के बाद लाहोटी ने मेयर पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद जनवरी 2019 में भाजपा से बागी होकर चुनाव लडे विष्णु लाटा कांग्रेस के सहयोग से जयपुर के मेयर बने.