Achalgarh Mahadev Temple : दुनिया भर में शिव भक्त हैं और भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग पर आज महाशिवरात्रि के दिन अभिषेक कर रहे हैं. राजस्थान में भी श्रद्धा का सैलाब उमड़ रहा है. राजस्थान के माउंट आबू में एक ऐसा शिवलिंग हैं जो 3 बार रंग बदलता है.


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पूरी दुनिया में ये एक ऐसा शिवलिंग है जो भगवान भोलेनाथ के अंगूठे की पूजा की जाती है. इन अंगूठे के आगे एक कुंड है.माना जाता है कि इस कुंड में कितना भी पानी डालों, वो सीधा पाताल में चला जाता है.


ये कुंड कभी नहीं भरता है. यहां पूजा अर्चना करने महाशिवरात्रि पर हजारों भक्त पहुंच रहे है. अरावली पर्वतों के बीच माउंट आबू से 11किमी दूर इस अचलगढ़ महादेव मंदिर से जुड़ी कई कहानियां प्रचलित हैं.


 इतिहासकार बताते है कि यहीं पर भगवान शंकर के अंगूठे की पूजा होती है. गर्भगृह में शिवलिंग पाताल खंड की तरह दिखता है. जिसके ऊपर एक तरफ पैर के अंगूठे का निशान उभरा है, जिन्हें स्वयंभू शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है. इसे देवादिदेव महादेव के दाहिने पैर का अंगूठा माना जाता है.


कहते हैं कि 15वीं शताब्दी में बने अचलेश्वर मंदिर में भगवान शिव के पैरों के निशानहैं. मेवाड़ के राजा राणा कुंभ ने अचलगढ़ किला एक पहाड़ी के ऊपर बनवाया. किले के पास ही अचलेश्वर मंदिर है, जहां भगवान के अंगूठे के नीचे एक प्राकृतिक गढ्ढा है. इस गढ्ढे में कितना भी पानी डाला जाए, वो नहीं भरता है. इसमें चढ़ाया जाने वाला पानी कहां जाता है ये आज भी रहस्य है. 


ये शिवलिंग दिन में 3 बार शिवलिंग का रंग बदलता है. सुबह में शिवलिंग नीले रंग, दोपहर में केसरिया और रात में शिवलिंग का रंग श्याम रंग का दिखता है. ऐसा क्यों होता है ये आज तक एक रहस्य ही है. 


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