World Stroke Day: आज विश्व स्ट्रोक दिवस है. इस बार जागरूकता के लिए देश मे इसे एक खास थींम पर मनाया जा रहा है इस साल वर्ल्ड स्ट्रोक डे की थीम है ‘इसके लक्षणों के बारे में जानकारी फैलाना’ ताकि लोग इसके लक्षणों को नजरअंदाज करने की बजाए पहले ही सचेत हो जाएं और उनकी जान बच सके, यानि मरीज को इस तरह के लक्षण दिखने पर जल्द से जल्द गोल्डन घण्टों में अस्पताल पहुंचाया जाए ताकि उसकी जिंदगी बचाई जा सके. एक्सपर्टस बताते है कि कोरोना के बाद लोगों में स्ट्रोक की दिक्कत काफी देखी जा रही है इसलिए लोगों को अतिरिक्त सचेत रहने की जरूरत है.


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हर दूसरे सेकेंड में ब्रेन स्ट्रोक का मामला आ रहा सामने


विश्व में हर दूसरे सेकेंड में एक मरीज ब्रेन स्ट्रोक का सामने आ रहा है. हर साल स्ट्रोक के दो करोड़ लोग पीड़ित होते हैं, इनमें से 50 लाख लोगों की मौत हो जाती है. भारत में हर साल 15 से 20 लाख लोगों को स्ट्रोक होता है और चार से पांच लाख लोगों की मौत का कारण बनता है. राजस्थान प्रदेश की बात करें तो यहां भी हर रोज 400 से ज्यादा मरीज ब्रेन स्ट्रोक के सामने आ रहे हैं. सबसे चौकाने वाली बात यह है कि स्ट्रोक अब युवाओं में भी तेजी से बढ़ रहा है.


एसएमएस अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ त्रिलोचन श्रीवास्तव बताते है कि अत्यधिक तनाव, धूम्रपान अनियमित जीवनशैली जैसे कुछ ऐसे कारण हैं जो युवाओं को इसकी जद में ले रहे हैं. स्ट्रोक में ब्रेन की प्रति मिनट 20 लाख कोशिकाएं मर जाती है. स्ट्रोक या लकवा का इलाज समय पर नहीं होने पर मरीज की उम्र भी 20 से 25 साल घट जाती है. समय पर इलाज नहीं किया जाए तो मरीज हमेशा के लिए अपाहिज हो जाता है. इसीलिए तीन से साढ़े चार घंटे, जिसे गोल्डन पीरियड कहा जाता है, उसमें इलाज बहुत जरूरी है. स्ट्रोक की पहचान चेहरा टेढ़ा हो जाना, आवाज बदलला, शरीर के एक हिस्से में कमजोरी के साथ ताकत कम हो जाना प्रमुख है. लक्षणों को समझ कर तुरंत डॉक्टर को दिखाना जरूरी है. समय रहते यदि इलाज शुरू कर दिया जाए तो स्ट्रोक को काबू में लाया जा सकता है.


हैमरेजिक और इस्केमिक स्ट्रोक


सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. एसपी पाटीदार ने बताया कि स्ट्रोक दो प्रकार का होता है. हैमरेजिक और इस्केमिक स्ट्रोक. स्ट्रोक के कुल मामलों में हैमरेजिक स्ट्रोक 15 प्रतिशत तक ही होते हैं जबकि 85 प्रतिशत तक मामले इस्केमिक स्ट्रोक के होते हैं. हमारे मस्तिष्क की नस अधिक रक्त दबाब के कारण फटने से हैमरेजिक स्ट्रोक होता है जबकि नस में थक्का जमने के कारण इस्केमिक स्ट्रोक होता है. हैमरेजिक स्ट्रोक का उपचार तुंरत ओपन सर्जरी द्वारा किया जाता है जबकि इसकैमिक स्ट्रोक का उपचार आधुनिक न्यूरो इंटरवेंशन द्वारा किया जा सकता है, जिसमें बिना किसी सर्जरी के मरीज के मस्तिष्क में जमे थक्के को निकाल दिया जाता है. शुगर, बीपी के मरीजों को खासतौर पर इस बीमारी में ध्यान रखने की जरूरत है.


हार्ट अटैक को पहले से मालूम करने के लिए जिस तरह सीटी एंजियोग्राफी, कैल्शियम स्कोर या दूसरी जांच करके उसका पहले से ही पता लगाया जा सकता है, ठीक उसी तरह हार्ट से ब्रेन को ब्लड सप्लाई करने वाली कैरोटिड आर्टरी को जांच करके भविष्य में होने वाले स्ट्रोक के संभावित खतरे को पहले ही भांपा जा सकता है. जो मरीज हाई रिस्क पर हैं यानि कि कॉलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, बीपी की समस्या है, उन्हें अपनी नियमित जांच में कैरोटिड डॉप्लर टेस्ट भी जरूर करवाना चाहिए