Jaipur: विधानसभा चुनाव 2018 (Assembly election 2018) में कांग्रेस (Congress) की ओर से प्रदेश के उन लाखों बेरोजगारों (unemployed) से वादा किया गया था, जिनकी भर्ती परीक्षाएं (Recruitment examinations) किन्हीं कारणों के चलते रद्द हो गई थी. ऐसे अभ्यर्थियों को उनके आवेदन शुल्क को वापस लौटाने का वादा कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र (manifesto) में किया था, लेकिन करीब 33 महीने बीत जाने के बाद भी आज तक इस वादे की फाइल अधिकारियों की टेबल पर धूल फांक रही है.


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कांग्रेस ने विधानसभा चुनावी घोषणा पत्र में प्रदेश के 19 लाख बेरोजगारों के लिए एक वादा शामिल किया, जिनका पिछले 8 सालों से रद्द हुई तीन भर्तियों का करीब 46 करोड़ रुपये का शुल्क वापस होना था. इन तीन में से दो भर्तियां ऐसी हैं जो रद्द की जा चुकी है तो वहीं एक भर्ती 3 साल बाद भी ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है. पिछले 8 सालों में तीन ऐसी भर्तियां थी जिनमें आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद भर्ती को रद्द कर दिया गया, लेकिन इन भर्तियों में आवेदन करने वाले करीब 19 लाख बेरोजगारों को आज तक आवेदन शुल्क (Application fee) नहीं लौटाया गया है. 


साल 2013 में तकनीकी कर्मचारियों (Technical Staff) के 1294 पदों पर भर्ती निकाली गई, लेकिन भर्ती प्रक्रिया के दौरान ही विधानसभा चुनाव (Assembly elections) हुए जिसमें भाजपा सरकार (BJP Government) सत्ता में आ गई. भाजपा सरकार के दौरान ये भर्ती पूरे 5 सालों तक ठंडे बस्ते में पड़ी रही. 2018 में फिर से कांग्रेस सत्ता में आई, लेकिन तीन साल बाद भी इस भर्ती का कुछ नहीं हो पाया है. 2013 में निकाली गई इस भर्ती में करीब 7 लाख से ज्यादा बेरोजगारों ने आवेदन किया, जिसमें करीब 21 करोड़ रुपये सरकार के पास जमा हुए, तो वहीं विद्यार्थी मित्रों के समायोजन के लिए निकाली गई विद्यालय सहायक भर्ती को भी सरकार ने रद्द कर दिया. पहले ये भर्ती साल 2013 में  33 हजार 689 पदों पर निकाली गई, लेकिन उस समय इस भर्ती को रद्द करते हुए साल 2014 में फिर से 33 हजार 493 पदों पर निकाली गई. इस भर्ती में 12 लाख 3 हजार 13 बेरोजगारों ने आवेदन किया था, जिसके करीब 25 करोड़ रुपये सरकार के पास जमा हुए थे.


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भर्ती परीक्षा के आवेदन शुल्क को लौटाने की अगर बात की जाए तो सरकार का इस संबंध में तर्क है कि रद्द की गई परीक्षाओं (Exams) का आवेदन शुल्क लौटाने का आदेश 9 जुलाई 2019 को जारी हो चुका हैं. तकनीकी कारणों से ऑनलाइन लेन-देन विफल होने की वजह से थोड़ी परेशानी हो रही है, तो वहीं, दूसरी ओर विभाग के तर्क बेरोजगारों के गले नहीं उतर रहे हैं. ऐसे में लगता है की सालों से आवेदन शुल्क वापसी का इंतजार कहीं बीरबल की खिचड़ी साबित ना हो जाए.