Mughal : मुगलों शासनकाल में सिर्फ हरम नहीं थे जहां की औरतों के मुगल बादशाह दीवाने थे. कई हवेलियों में तवायफे रह रही थी. जिनके बादशाह कायल थे. इनमें से एक औरत ऐसी थी. जिसके प्यार में मुगल बादशाह नसीरूद्दीन मुहम्मद शाह डूब चुका था, लेकिन उसे पता नहीं था कि वो उसे धोखा दे रही है...


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पुरानी दिल्ली की हवेली में एक तवायफ रहा करती थी. जिसके हुस्न के चर्चे दूर तक थे. नूर बाई नाम की इस औरत पर मुगल बादशाह नसीरुद्दीन मुहम्मद शाह का दिल आ गया था. बादशाह के दीवानगी की हद ये थी. आए दिन हवेली के बाहर बादशाह के हाथी खड़े मिलते थे.


नूर बाई को रोजाना बेशकीमती तोहफे बादशाह की तरफ से मिल रहे थे. यहीं नहीं खुद नूर बाई हाथी की सवारी करने लगी थी जो सिर्फ बादशाह करते थे. हाथी पर बैठी नूर बाई को देखने लोगों की भीड़ लग जाती थी. हर कोई उसकी एक झलक पाना चाहता था.


मुगल बादशाह प्यार में पागल था लेकिन नूरबाई की नीयत बादशाह की पगड़ी में रखे कोहिनूर पर अटकी थी. ये वो वक्त था जब मुगलों का साम्राज्य सिमट रहा था और ईरानी बादशाह नादिर शाह मौके की तलाश में था. 


1739 में नादिर शाह और  मुगल बादशाह नसीरुद्दीन मुहम्मद शाह के बीच जंग में बादशाह हार गया. जीत के बाद नादिर शाह ने बादशाह का खजाना खाली कर दिया. अब दरबार में हारे बादशाह मोहम्मद शाह को बुलाया गया. मुगलों की अय्याशी का अड्डा था मुगल हरम, जहां औरतों की ये थी हालत


नादिर शाह ने हिंदुस्तान का सत्ता वापस करने की बात कही लेकिन एक शर्त रखी की पहले आप पगड़ी मेरे साथ बदल ले. नादिर शाह की चाल को बादशाह समझ नहीं पाया और पगड़ी समेत कोहिनूर भी नादिर शाह अपने साथ ईरान ले गया.


माना जाता है कि नादिर शाह को ये आइडिया नूरबाई ने ही दिया था. वो बादशाह मोहम्मद शाह से तंग आ चुकी थी और बदला लेना चाहती थी. नूरबाई का दूसरा मकसत नादिर शाह के करीब आना भी था. 


मुगल बादशाह को हरम के लिए हमेशा जवां रखते थे ये व्यंजन, हकीम बनाता और किन्नर...