REET2022 : हमने अपने दादा-नाना से सुना होता है की वो नदी तैर कर स्कूल जाया करते थे. बारिश में कई किलोमीटरों तक पैदल चला करते थे,  लेकिन स्कूल जाते थे. लेकिन दादी-नानी के पास सुनाने को ऐसा किस्सा नहीं होता. कभी सोचा है. दादी-नानी ऐसा क्यूं नहीं कर पाती थी ?


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क्यों कि बारिश में भीगी लड़की उस खुली तिजोरी की तरह होती है, जिसपर हक हो ना हो नज़र सबकी होती है. अगर कोई लड़की बरसात में भीग जाए तो उसे देखने के लिए पर्दे की ओंठ से उठती नजरें, बिना हाथ लगाए मर्यादाओं को तार-तार करने के लिये काफी है. ऐसे में सोचिए उन लड़कियों के बारे में जो भीगते हुए REET एग्जाम देने पहुंची होंगी.


सालों की पढ़ाई, लंबा इंतजार और फिर ये बारिश, सपनों को तोड़ने के लिए काफी है. लेकिन हौसले नहीं टूटे, भारी संख्या में लड़कियां रीट एग्जाम को देने परीक्षा केंद्रों पर पहुंची और अपना पूरा जोर लगा दिया. रिजल्ट चाहे जो आये, लेकिन बने हालात शायद ही वो भूल पाएं. 


जो लड़कियां बचपन से झुकने से पहले एक हाथ से अपने आप को ढकने की परवरिश से बड़ी हुई हो. उनकी जिन्दगी के सबसे बड़े दिन भीगी हालत मे बेपर्दा उन्हे छोड़ दिया जाये, तो सोचिये हाथ पैन पकड़ेगा या बदन छुपायेगा. दिमाग उत्तर खोजेगा या नज़रों से बचने का तरीका.


बारिश में भीगी हुई, जब वो परीक्षा दे रही होंगी, तो उसका ध्यान खुद पर ज्यादा होगा या एग्जाम पेपर पर  ? कहीं आस-पास बैठे दूसरे लोग तो उसे देख तो नहीं रहें होगें ? क्या करें एग्जाम दें ? या फिर वापस चली जाए ? ऐसे कई सवाल उसके जहन में आए होंगे. वैसे भी वैसे ही सबके जहन में केरल NEET परीक्षा भी है, जहां चेंकिंग के नाम पर लड़कियों के अंतवस्त्र तक उतार दिये गये थे. 


तैरना जानते हुए भी दादी-नानी स्कूल तैरकर नदी पार कर इसलिए नहीं गई, क्यूंकी नदी की धार से बचना तो आसान था लेकिन नज़रों से बचना उन्हे आ नहीं पाया. इन हालातों के बीच एक लड़की ने एग्जाम दिया है और फिर अगर पेपर आउट हो जाए, तो सोचिए क्या बितेगा उस पर ? उम्मीद है इस बार सपने नहीं टूटेंगे...


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