सुप्रीम कोर्ट ने दिया जेडीए के पक्ष में फैसला, जयपुर में 8 बीघा सरकारी जमीन से हटा कब्जा, 50 सालों से था अतिक्रमण
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट से जेडीए के पक्ष में फैसला आने के साथ ही जयपुर विकास प्राधिकरण की एन्फोर्समेंट टीम ने आज सुबह विद्याधर नगर में एरिया में करीब 8 बीघा सरकारी जमीन का कब्जा लिया.इस जमीन पर 50 सालों से भूमाफिया ने कब्जा कर लोगों से किराए पर जगह देकर लाखों रुपए महीना वसूला जा रहा था.
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जेडीए एक्शन मोड पर आ गया है. जयपुर शहर का पॉश इलाका है, सरकारी बेशकीमती जमीन पर गरजता बुलडोजर, भारी पुलिस का जाब्ता.जेडीए के प्रवर्तन दस्ते ने आज बड़ी कार्रवाई करते हुए शहर में पॉश इलाके में मौजूद 200 से 250 करोड़ रुपए बाजार भाव की बेशकीमती सरकारी जमीन से अवैध कब्जे हटाए.
इस कार्रवाई के साथ ही यहां लगती दूसरी भूमि को मिलाते हुए करीब 600 करोड़ रुपए बाजार भाव की भूमि जेडीए की मिल चुकी है.विद्याधर नगर के सेक्टर 9 के पास ग्राम बीड़ सरकारी मल्होत्रा नगर में करीब आठ बीघा भूमि पर 40-50 वर्षों से अवैध कब्जा था.
सरकारी स्वामित्व की इस भूमि पर अवैध कब्जे को हटाने के लिए अतिक्रमियों को जेडीए के प्रवर्तन दस्ते की ओर से नोटिस दिए गए.पूरी जमीन से कब्जा हटाने के बाद जेडीए के कब्जे में करीब 600 करोड़ बाजार भाव की भूमि आई हैं.
इसके बाद पिछले दो दिनों तक चली मुनादी के बाद करीब 95 प्रतिशत अवैध कब्जों को अतिक्रमियों ने स्वत:ही हटा लिया था.इसके बाद आज चली कार्रवाई में शेष अवैध कब्जे और मौके के निर्माण हटाए गए.
मुख्य नियंत्रक प्रवर्तन जेडीए रघुवीर सैनी ने बताया की इस बेशक़ीमती सरकारी भूमि पर करीब 9 मार्बल -ग्रेनाइट के बड़े बाड़े, 7 कबाड़ियों व अन्य के गोदाम ,ऑफिस के कमरे, पशुओं के बाड़े, छप्पर,चाय की थड़िया इत्यादि बनाकर व्यवसायिक गतिविधियां संचालित की जा रही थी.
साथ ही करीब 80 टीनशेड-तिरपाल की झुग्गी झोपड़ियां बनाकर अवैध रूप से बस्ती बसाई हुई थी जिन पर आज बुलडोजर चलाया गया.इन गतिविधियों के किराए के पेटे भूमाफियो द्वारा लाखों रुपए महीने का किराया वसूला जा रहा था.आज प्रवर्तन दस्ते ने समस्त अवैध कब्जे हटाते हुए भूमि पर जेडीए संपत्ति के बोर्ड लगाए हैं.
जेडीए प्रवर्तन दस्ते की इस इलाके में यह पहली कार्रवाई नहीं हैं.इससे पहले पिछले वर्ष नवंबर में भी इससे लगती जेडीए स्वामित्व की 12 बीघा भूमि पर अवैध कब्जे हटाए गए थे.जिस 8 बीघा सरकारी भूमि से आज अवैध कब्जे हटाए गए थे.उससे ही लगती जेडीए स्वामित्व की 12 बीघा जमीन स्थित है.
इस भूमि पर स्कूल,ऑफिस,गोदाम व अन्य अतिक्रमण थे.जेडीए के प्रवर्तन दस्ते ने पिछले वर्ष 9 नवंबर को ये अतिक्रमण हटाए थे.जब यह र्कारवाई चल रही थी.तभी स्थानीय लोगों ने बताया की यह भूमि भी जेडीए स्वामित्व की है.
इसके बाद जेडीए की प्रवर्तन शाखा ने मामले की पड़ताल में सामने आया की यह भूमि भी जेडीए स्वामित्व की है. इसके बाद जोन कार्यालय से अतिक्रमण के बारे में रिपोर्ट ली गई.
इस रिपोर्ट के आधार पर आज पूरी जमीन को खाली कराया गया है.इस तरह जेडीए ने कुल 20 बीघा बेशकीमती पर अपना कब्जा कर लिया है.इस पूरी जमीन की अनुमानित कीमत करीब 600 करोड़ रुपए बताई जा रही है.इस भूमि पर जेडीए की ओर प्लानिंग कर भूखंड नीलाम किए जाएंगे.
जेडीए अधिकारियों ने बताया कि इस जमीन का मामला पिछले 30 साल से ज्यादा समय से कोर्ट में लम्बित था.साल 1958 में ये जमीन सेटलमेंट के समय जेडीए के नाम हो गई थी.साल 1997 में इस जमीन पर काबिज छोटूराम मीणा ने सरकार पर मुआवजा नहीं देने और जमीन अपने दादा की होने की बात कहकर एडीएम कोर्ट में इस पर दावा पेश किया था.तब से मामला लगातार नीचली अदालत से होते हुए उच्चतम न्यायालय यानी सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा,जिस पर पिछले महीने 15 फरवरी को फाइनल फैसला दिया गया.
बहरहाल, जेडीए की विजिलेंस विंग अवैध निर्माणों, सरकारी जमीनों पर हो रहे अतिक्रमणों पर अपना बुलडोजर तो चलाता हैं. जिस भूमि पर आज जेडीए के प्रवर्तन दस्ते ने कार्रवाई की.उस भूमि पर कुछ हिस्से पर काफी साल पहले जेडीए की ओर से चारदिवारी भी बनाई गई थी.ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है, जिस भूमि को बचाने के लिए चारदिवारी बनाई गई,उस भूमि पर इतने वर्षों में अवैध कब्जे करने की भूमाफिया को छूट कैसे मिल गई?.