Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश अशोक पाठक की एसएलपी पर दिए. एसएलपी में राजस्थान हाईकोर्ट के 15 नवंबर 2022 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें हाईकोर्ट ने एकल पट्टा मामले में एसीबी में दर्ज एफआईआर और निचली अदालत की कार्रवाई को शांति धारीवाल की हद तक रद्द कर दिया था.


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एसएलपी में कहा गया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ दर्ज केस की एफआईआर को केवल शिकायतकर्ता के राजीनामे के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता. यह केस राज्य सरकार का केस है, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ है.


वहीं, हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों की भी अनदेखी की है. सुप्रीम कोर्ट ने निचली कोर्ट को राज्य सरकार की क्लोजर रिपोर्ट व प्रोटेस्ट पिटिशन तय करने का निर्देश दिया था. जिस पर निचली कोर्ट ने पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट रद्द कर आगामी अनुसंधान का निर्देश दिया था.


लेकिन इसी दौरान धारीवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चल रहे अनुसंधान व निचली कोर्ट की कार्रवाई को रद्द करने का आग्रह किया. धारीवाल का कहना था कि मामले में शिकायतकर्ता व उनके बीच सेटलमेंट हो गया है. इसलिए निचली कोर्ट व एसीबी की कार्रवाई को रद्द किया जाए.


इस आधार पर हाईकोर्ट ने मामले में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप होते हुए भी याचिका मंजूर कर एसीबी व कोर्ट की कार्रवाई रद्द कर दी. जबकि निचली कोर्ट ने 29 जनवरी 2022 के आदेश में स्पष्ट कहा था कि जांच एजेंसी सही तरीके से जांच नहीं कर रही है और केस डायरी में एक साल से एंट्री भी दर्ज नहीं की हैं. मामले में अभियोजन ने हाईकोर्ट से तथ्यों को छुपाया है. इसलिए मामले में सर्वोच्च अदालत आवश्यक दिशा-निर्देश दे.


यह है मामला- एसीबी ने वर्ष 2014 में परिवादी रामशरण सिंह की गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी को एकल पट्टा जारी करने में हुई धांधली की शिकायत पर मामला दर्ज किया था. एसीबी ने मामले में कंपनी के प्रोपराइटर शैलेन्द्र गर्ग, यूडीएच के पूर्व सचिव जीएस संधू, जेडीए जोन-10 के तत्कालीन उपायुक्त ओंकारमल सैनी, निष्काम दिवाकर और गृह निर्माण सहकारी समिति के पदाधिकारियों अनिल अग्रवाल व विजय मेहता के खिलाफ मामला दर्ज किया था.


Reporter- Mahesh Pareek 


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