Jaipur News: कल सूर्यसप्तमी है. भगवान सूर्यदेव लवाजमे के बीच सात अश्वों पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे. राजधानी जयपुर में ऐसा सूर्य मंदिर है, जहां राजधानी में सूर्य की पहली किरण आने से पहले गलता घाटी स्थित सूर्यमंदिर पर सबसे पहले पड़ती है. शहर का यह मंदिर राजा-रजवाड़ों के जमाने से खास हैं.


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सबसे खास बात यह है कि पूरे राजस्थान में एकमात्र मंदिर ऐसा है, जहां सूर्यदेव पत्नी संध्या (राणादे) के साथ विराजमान है. राजस्थान में एक ही मंदिर है, जहां दोनों जोड़े से विराजमान है.


मंदिर महंत पं.मदन लाल शर्मा ने बताया कि पहले अष्टधातु की मूर्ति चोरी होने के बाद दूसरी मूर्ति मकराना के मार्बल की दो फीट की तैयार करवाई गई. हर साल यहां अब भी पुरानी परंपराओं का निर्वहन शहरवासियों की मौजूदगी में हो रहा है. सूर्यसप्तमी उत्सव की शुरुआत आज रक्त चंदन अभिषेक, सूर्य सहस्त्रनाम पाठ से हो गई है. 


कल सूर्यसप्तमी के तहत सुबह आठ बजे पंचामृत स्नान के बाद लवाजमे के बीच भगवान सूर्यदेव सात अश्वों से सुसज्जित रथ पर सवार होकर शहर भ्रमण पर निकलेंगे. लवाजमे के साथ ही रथयात्रा सूर्य मंदिर से रवाना होकर शहर के प्रमुख मार्ग रामगंज, बड़ी चौपड़, त्रिपोलिया में आरती के बाद पुन:इन मार्ग में पहुंचेगे. संत महंतों की अगुवाई में आरती होगी. 


महंत ने बताया कि सूर्यदोष निवारण के लिए राजा-महाराजाओं के जमाने से सभी लोग ज्योत देखते हैं, पुए, पुड़ी का भोग सूर्यभगवान को लगाते हैं. रविवार के दिन बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं. नवग्रहों के राजा सूर्यदेव उत्तर दिशा में विराजमान है. जयगढ़ के किला से सीधा यहां से दर्शन किए जा सकते हैं. 


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