जयपुरः याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने नौ साल पुराने मामले में मात्र अभियोजन स्वीकृति मिलने के आधार पर याचिकाकर्ता को निलंबित कर दिया. याचिका में कहा गया कि जब नौ साल तक निलंबन की जरूरत नहीं हुई तो अब निलंबन करना गलत है. इसके अलावा कार्मिक विभाग ने विवेक का इस्तेमाल किए बिना मशीनी अंदाज में याचिकाकर्ता का निलंबन किया है. ऐसे में निलंबन आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाई जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने निलंबन आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.


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गौरतलब है कि कार्मिक विभाग ने निशु कुमार के निलंबन आदेश में टिप्पणी करते हुए कहा कि उन पर आपराधिक भ्रष्ट आचरण के गंभीर आरोप में अभियोग चलाया जाना है. उनका लोक सेवक के रूप में पद पर बने रहना प्रशासन की स्वच्छ ईमानदार छवि के प्रतिकूल है और व्यापक जनहित में नहीं है. इसलिए उन्हें तत्काल निलंबित किया जा रहा है.आदेश में निंशु कुमार के खिलाफ अजमेर यूआईटी में सचिव रहते हुए एसीबी में दर्ज प्रकरण का हवाला दिया गया था. 


Reporter- Mahesh Pareek