Jaipur: प्रदेश में ERCP मुद्दे को लेकर राज्य की कांग्रेस सरकार और केंद्र की एनडीए सरकार आरोप-प्रत्यारोप कर रही है. वहीं जलसत्याग्रही वाटर मैन राजेंद्र सिंह का कहना है कि वोट और दलगत राजनीति में दोनों सरकारों ने ERCP के मामले को उलझा दिया है, इससे नुकसान केवल जनता का हो रहा है. राजस्थान में देश की 16 प्रतिशत भूमि और 4 प्रतिशत आबादी है, लेकिन पानी एक प्रतिशत भी नहीं है, ऐसे में राजस्थान की जनता को उसके हक का पानी मिलना ही चाहिए.


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दुर्गापुरा कृषि अनुसंधान केंद्र में राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत चल रहे राष्ट्रीय एकता और सद्भावना शिविर में आए वॉटरमैन के नाम से विख्यात राजेंद्र सिंह से जी राजस्थान ने ईआरसीपी और राजस्थान में पानी के मुद्दे को लेकर बातचीत की. वॉटरमैन राजेंद्र सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया में सूखे और बाढ़ की स्थिति है, पूरी दुनिया को इससे बचाने के लिए बाढ़ सूखा मुक्त जल आयोग बना है. इस आयोग की जिम्मेदारी भारत को मिली है, क्योंकि दुनिया जानती है कि भारत के लोग बाढ़ और सूखे का उपाय करना जानते हैं. भारत सरकार और राजस्थान सरकार अलग अलग ढंग से ईआरसीपी शुरू करना चाहती है, लेकिन वोटों की राजनीति के लिए हमारी सरकारों ने खेल बना लिया है.


उन्होंने कहा कि केंद्र और राजस्थान सरकार चाहती तो यह इतना सरल काम था. यहां यमुना और चंबल का पानी लेकर आना था और 14 जिलों के लोगों की समस्या का समाधान हो जाता. राजेंद्र सिंह ने कहा कि बाहर से पानी लाने को विवाद का मुद्दा बनाने के बजाय सरकारें यदि बारिश के दिनों में अपने पानी को ठीक से संरक्षण करती, वहीं फसल चक्र को वर्षा के साथ जोड़ देती तो इस तरह पानी के लिए हाहाकार नहीं मचता. राज्य में दो प्रतिशत अंडरग्राउंड पानी बचा है. जिस राज्य में पानी ही नहीं हो वहां रिजर्व बैंक की वैल्यू कोई मायने नहीं रखती है. हमारी धरती का पेट खाली है, जो पानी बहकर चला जाता है उसे रोकने के लिए सोचना पड़ेगा, वर्षा जल का सामुदायिक प्रबंधन कैसे करें, इस पर काम करना होगा, आपसी बयानबाजी और एक दूसरे पर आरोप लगाने से नहीं होगा.


राजेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार कहती है कि राजस्थान सरकार नहीं करना चाहती है, वहीं राजस्थान सरकार करना चाहती है लेकिन भारत सरकार पर आरोप लगा रही है. केंद्र सरकार सोच रही है कि कब इस प्रोजेक्ट को अप्रूव करने से वोट मिलेंगे. यह सब दलगत राजनीति का खेल है और इसमें जनता का नुकसान हो रहा है. इस वक्त दलगत राजनीति सबसे भयानक है, दिल्ली में जो राज है वह डरा धमका रहा है, तानाशाही जैसा राज है, उसमें भारत और राजस्थान सफर कर रहा है.


राजस्थान के हक का पानी मिले


वाटरमैन राजेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार दलगत राजनीति से ऊपर उठकर एक टेबल पर बैठक कर पानी के लिए जो काम करने लायक है उसे कर लेना चाहिए. वॉटरमैन ने कहा कि नदी जोड़ने का बहुत बड़ा विरोधी रहा हूं, बड़े प्रोजेक्ट को कभी पसंद नहीं किया, मुझे बापू की प्रेरणा है कि जहां तुम रहते हो, वहीं पानी सहेजने का काम करो. जिंदगी के 42 साल पानी के काम में लगाए, जहां लगाए वहां पानीदार बना दिया है, जो लोग गांव छोड़ गए थे, पानी होने पर खेती करने लगे है और वापस अपनी जमीन पर खेती कर रहें हैं.


राजस्थान भारत का बड़ा राज्य है भारत की 16% भूमि और आबादी 4 प्रतिशत है, लेकिन पानी एक परसेंट है. राजस्थान में पूरे भारत के पानी पर हमारा अधिकार है और वो हमें मिलना ही चाहिए. हमें पानीदार बनना है भारत की जल नीति उसमें सबको जल को समान अधिकार है, हमारे पेयजल की प्राथमिकता है लेकिन इस मामले में हमारे दोनों सरकारें बहुत ही नजरअंदाज करके लटकाए हुए, गंभीरता से नहीं ले रही है.


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