Jaipur News: देशभर में 24 अक्टूबर को दशहरा का पर्व काफी धुम-थाम के साथ मनाया गया. इस पर्व को मनाने का मुख्य उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की जीत और सत्य पर सत्य की विजय के रूप में देखा जाता है. रावण दहन इस पर्व का एक मुख्य  भाग माना जाता हैं. रावण दहन के बाद जयपुर में बरसों से एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है, जो कि अपने आप ही बहुत अनुठा हैं. रावण दहन के तीसरे दिन प्रताप नगर के सेक्टर 8 में हर साल बैठक का आयोजन किया जाता है. इस बैठक का आयोजन हर साल व्यापार मंडल द्वारा किया जाता है. जिसमें मोक्ष दिलाने, ब्राह्मण भोज,एवं जुरी कार्यक्रम को लेकर चर्चा की जाती है. और तीसरे की बैठक में मौजूद सभी लोगों ने रावण के चित्र पर पुष्प अर्पित किए.


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इस अनोखी परंपरा में प्रताप नगर के व्यापार मंडल द्वारा हर साल रावण को मोक्ष दिलाने के लिए कार्यक्रम का आयोजन होता हैं. जिसमें रावण की आत्मा को मोक्ष दिलाने के लिए दल अस्थि लेकर विसर्जन के लिए वाराणसी रवाना होता है. और वाराणसी के गंगा घाट पर हिंदू रीति रिवाज के अनुसार अस्थियों का विसर्जन किया जाता है, इसके बाद ध्यान रखते हुए 12वें तक की सभी रस्मों को यहां पर पूरी विधि विधान के साथ निभाया जाता है. 


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व्यापार मंडल ने बताया कि रावण को जलाने के बाद उसकी सभी क्रिया क्रम सही तरीके से किए जाने चाहिए, ऐसा नहीं करने से रोजाना कई रावण पैदा होते हैं, जिससे समाज में खतरा बढ़ता है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए 12वें तक की सभी रस्मों को यहां पर पूरी विधि विधान के साथ निभाया जाता है. जिसमें रावण की आत्मा को मोक्ष दिलाने के लिए अस्थियों का विसर्जन किया जाता है, और ब्राह्मण भोज सहित अन्य रस्मों के साथ खत्म किया जाता है. 16 अक्टूबर को प्रताप नगर स्थित निजी गार्डन में पगड़ी का दस्तूर कार्यक्रम होगा. जिसमें ब्राह्मण भोज सहित अन्य रस्मों के साथ खत्म किया जाएगा.