Jaipur : ज्योतिषीय गणना के अनुसार साल 2021 में विवाह मुहूर्त कम हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार साल के इस बार वैवाहिक सुख का कारक शुक्र ग्रह उदित होने के बाद 22 अप्रेल से शुरू हुआ सावों का दौर 15 जुलाई तक रहेगा. अब जून में 8 और जुलाई में केवल 5 दिन ही विवाह मुहूर्त हैं. ऐसे में लॉकडाउन जारी रहा तो कुंवारों को श्रेष्ठ विवाह मुहूर्त (2021 Hindu Marriage Dates) के लिए 15 नवंबर तक इंतजार करना पड़ेगा. इस बार 20 जुलाई को देवशयन एकादशी व चातुर्मास शुरू होने से मांगलिक कार्यक्रम पर भी ग्रहों का लॉकडाउन लग जाएगा. 


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शुभ ग्रहों के अस्त रहने पर विवाह अनुष्ठान रुक जाते हैं और उदय होने पर विवाह आरंभ होते हैं. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि अब जून में 8 और जुलाई में केवल 5 दिन ही विवाह मुहूर्त (Wedding Dates in 2021) हैं. वहीं, 15 नवंबर को देवउठनी एकादशी से 13 दिसंबर तक विवाह के लिए कुल 13 मुहूर्त होंगे.


नवंबर-दिसंबर में 13 दिन शादी
विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक अनीष व्यास के अनुसार जुलाई में देवशयन होने के बाद 15 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर विवाह मुहूर्त के साथ शादियों का दौर फिर शुरू होगा. नवंबर में 7 और दिसंबर में 15 तारीख के पहले तक विवाह के सिर्फ 6 मुहूर्त ही होंगे.


साल 2021 में अब जून से दिसंबर तक विवाह मुहूर्त
जून - 3, 4, 5, 16, 20, 22, 23, और 24 
जुलाई - 1, 2, 7, 13 और 15
नवंबर - 15, 16, 20, 21, 28, 29 और 30
दिसंबर - 1, 2, 6, 7, 11 और 13
 
मांगलिक कार्यों में कोरोनाकाल व ग्रहों की स्थिति बनी बाधक
मलमास- 14 जनवरी तक
गुरु तारा अस्त- 17 जनवरी से 13 फरवरी तक
शुक्र का तारा अस्त- 14 फरवरी से 18 अप्रैल तक
खरमास- 14 मार्च से 13 अप्रैल तक
होलाष्टक- 22 मार्च से 28 मार्च तक
देवशयनी एकादशी 20 जुलाई से देवउठनी एकादशी 15 नवंबर तक


विवाह मुहूर्त में लग्न का महत्व
शादी-ब्याह के संबंध में लग्न का अर्थ होता है फेरे का समय. लग्न का निर्धारण शादी की तारीख तय होने के बाद ही होता है. यदि विवाह लग्न के निर्धारण में गलती होती है तो विवाह के लिए यह एक गंभीर दोष माना जाता है. विवाह संस्कार में तिथि को शरीर, चंद्रमा को मन, योग व नक्षत्रों को शरीर का अंग और लग्न को आत्मा माना गया है यानी लग्न के बिना विवाह अधूरा होता है.
 
क्यों मिलाई जाती है कुंडली
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि रीति-रिवाज और पंचांग के अनुसार विवाह में वर और वधू के बीच दोनों की कुंडलियों को मिलाया जाता है. इस व्यवस्था को कुंडली मिलान या गुण मिलान के नाम से जानते हैं. इसमें वर और कन्या की कुंडलियों को देखकर उनके 36 गुणों को मिलाया जाता है. जब दोनों के न्यूनतम 18 से 32 गुण मिल जाते हैं तो ही उनकी शादी के सफल होने की संभावना बनती है.बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके गुण मिलान में 24 से 32 गुण तक मिलते हैं, लेकिन वैवाहिक जीवन बहुत ही दुश्वारियों भरा होता है. इसका मुख्य कारण यह है कि पुरुष-स्त्री दोनों के जीवन का अलग-अलग विश्लेषण करने से पता चलता है.


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