राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने अपनी तैयारियां शुरु कर दी है. इसी बीच कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने जयपुर में हुई एक बैठक में साफ संकेत दिया है कि इस बार के चुनाव में बड़े पैमाने पर सिटिंग विधायकों के टिकट काटे जाएंगे. प्रदेश में अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट के बीच चल रही खींचतान के बीच इस तरह के सख्त संदेश ने कई विधायकों की नींद उड़ा दी है. रंधावा ने कहा कि जिन विधायकों और मंत्रियों का प्रदर्शन खराब है. जो अपने इलाके में एक्टिव नहीं है. जिन्हौने बेहतर काम नहीं किया है उन सभी के टिकट काटे जाएंगे. 


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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बार कांग्रेस चुनावों में बीजेपी का फॉर्मूला अपनाने की तैयारी कर रही है. हाल ही में भाजपा ने गुजरात चुनावों में बड़े पैमाने पर सिटिंग एमएलए के टिकट काटे थे. जिससे एंटीइनकमबेंसी कंट्रोल करने में काफी मदद मिली थी. भारतीय जनता पार्टी इस फॉर्मूले को कई राज्यों में अपना चुकी है. ऐसे में कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक इस बार करीब 50 विधायकों के टिकट काटकर नए चेहरों को मौका दिया जाएगा. 


राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार पिछले कुछ समय में चिरंजीवी योजना से लेकर शहरी रोजगार गारंटी के साथ ऐसी तमाम जन कल्याणकारी योजनाएं लाई है. लेकिन स्थानीय स्तर पर विधायकों के प्रति जनता की नाराजगी का कांग्रेस को डर सता रहा है. इसी नाराजगी का नुकसान कम करने के लिए बड़े स्तर पर टिकट काटने की तैयारी हो रही है.


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राजस्थान में इसी साल नवंबर महीने में विधानसभा चुनाव होने है. एक तरफ कांग्रेस के भीतर अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुटों के बीच खींचतान चल रही है तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी में भी फिलहाल सतीश पूनिया से लेकर गजेंद्र सिंह शेखावत और वसुंधरा राजे के बीच पावर पॉलिटिक्स चल रही है. दोनों पार्टियों के लिए गुटबाजी से पार पाकर चुनावों में जीत हासिल करना बड़ी चुनौती है. कांग्रेस प्रभारी रंधावा ने भी मीटिंग में स्पष्ट कहा है कि  नेताओं के प्रदर्शन के आधार पर ही टिकट मिलेंगे. हमें गांव गांव जाकर काम करना है. बिना सख्ती के कोई घर नहीं चल सकता. मैनें मुख्यमंत्री से भी कहा है कि वो नरम ज्यादा है.