Jaipur: यूनेस्को की सांस्कृतिक टीम ने पर्यटन भवन में पर्यटन निदेशक डॉ. रश्मि शर्मा से शिष्टाचार मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने यूनेस्को के साथ राज्य के चार जिलों जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर और बीकानेर में प्रारम्भ की गई अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर प्रोत्साहन परियोजना की प्रगति पर विस्तृत चर्चा की.


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डॉक्टर शर्मा ने बताया कि इस परियोजना के अंतर्गत अधिकांश केंद्रों के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित होने से ग्रामीण पर्यटन और शिल्प तथा संगीत परंपरा के जुड़ाव से अनुभव आधारित पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही परियोजना से जुड़े 1500 शिल्पियों, लोक कलाकारों को व्यापक मार्केट से जोड़ने और उनको सोशल मीडिया आदि के प्रयोग से अपनी कला को प्रचारित करने में मदद मिलेगी.


पर्यटन निदेशक ने बताया कि कोविड़ महामारी के कारण द्वितीय वर्ष के कार्य जनवरी-फरवरी 2022 में शुरू किए गए. परियोजना के तहत राज्य के चार जिलों के लंगा-मांगणियार और मीर समुदाय के लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत पारम्परिक लोक गीत और संगीत को संरक्षित करने के लिए ख्याति प्राप्त लोक कलाकारों के निर्देशन में रिकॉर्डिंग करवाई गई है. साथ ही इस क्षेत्र के पारम्परिक वाद्य यंत्रों जैसे कमाईचा, सिंधी सारंगी, खड़ताल, मोरचंग, तन्दूरा आदि पारम्परिक संगीत व धुनों की रिकॉर्डिंग कर संरक्षित करने का कार्य किया गया है.


यूनेस्को के साथ राज्य के चार जिलों जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर और बीकानेर में अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर प्रोत्साहन परियोजना दिसम्बर, 2019 से शुरू की गई थी. इस परियोजना की अवधि 42 माह  और लागत 7 करोड़ 12 लाख रुपये है. परियोजना के तहत 4 जिलों के 13 क्षेत्रों में रहने वाले लगभग 1500 लोक कलाकारों और हस्तशिल्प कर्मियों के आर्थिक उन्नयन और कला विरासत के संरक्षण के लिए उनका कौशल विकास किया जा रहा है. इस दौरान यूनेस्को की सांस्कृतिक क्षेत्र की प्रमुख जुन्ही हान, कार्यक्रम अधिकारी अंकुश सेठ, निगरानी और मूल्यांकन अधिकारी चिरंजीत गांगुली, अतिरिक्त निदेशक आनन्द कुमार त्रिपाठी सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे.


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