Budget 2022: केंद्र के बजट से राजस्थान को उम्मीद, आम आदमी को टैक्स में मिल सकती है छूट
केंद्र सरकार (Modi Sarkar) 1 फरवरी को आम बजट पेश करेगी. नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार के बजट से इस बार राज्यों को बहुत उम्मीदें है, राजस्थान भी उनमें से एक है.
Jaipur: केंद्र सरकार (Modi Sarkar) 1 फरवरी को आम बजट पेश करेगी. नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार के बजट से इस बार राज्यों को बहुत उम्मीदें है, राजस्थान भी उनमें से एक है.
टैक्सपेयर्स को टैक्स में कमी, आम करदाता को टैक्स स्लैब में इजाफे की उम्मीद है. उद्यमियों का कहना है कि उत्पादन क्षमता बढ़ाने, एमएसएमई को चलाने और इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल्स निर्माण क्षमता बढ़ाने पर काम करने की जरूरत है. टैक्स टेररिज्म को कम करते हुए आय बढ़ाने की पहल भी केंद्र सरकार करें. साथ ही उद्यमियों का कहना है कि राज्यों में सेक्टर आधरित निवेश को बढ़ाया जाए.
मोदी सरकार के बजट से जुड़ी राजस्थान की अहम मांगे
1 फरवरी को केंद्र का बजट आएगा. आयकर में 5 लाख रुपये तक छूट मिलनी चाहिए. रोटी, कपड़ा और मकान जैसी प्राथमिक जरूरतों पर 5 प्रतिशत से ज्यादा जीएसटी नहीं हो. पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) के साथ शराब को भी जीएसटी (GST) के दायरे में लाया जाए ताकि पेट्रोल-डीजल सस्ता हो और शराब की तस्करी रुक सके. सीनियर सिटीजन व्यापारियों को पेंशन स्कीम से सोशल सिक्यूरिटी दी जाए.
पार्टनर्शिप फर्मों पर भी सामान्य फर्म की तरह टैक्स रेट लागू की जाए. सर्विस टैक्स दायरे में आने वालों के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य 20 लाख रुपये है, जिसे बढ़ाकर 40 लाख किया जाए. सीएसआर में किए गए खर्च को धारा 37 में छूट दी जाए.
वन नेशन वन पॉवर टैरिफ
यदि देश को आर्थिक प्रगति करनी है तो एमएसएमई को मजबूत करना होगा और उनकी तरक्की में बाधक है बिजली की दरें. हमें 'वन नेशन-वन पावर टैरिफ' को अभियान बना कर चलना होगा और बिजली बोर्ड, स्टेट डिस्कॉम्स को आदेश देकर एमएसएमई के लिए पूरे देश में रु.5/- प्रति यूनिट की दर फिक्स करनी होगी और अन्य सभी चार्ज जो कि बिजली के बिल में जुड़ कर आते हैं.
जैसे फ्यूल सरचार्ज, इलेक्ट्रीसिटी ड्यूटी, वाटर सेस, अरबन डवपलमेंट सेस, फिक्स चार्ज प्रति किलोवॉट समाप्त करने होंगे, तभी देश की 6 करोड़ एमएसएमई जिसको आर्थिक प्रगति की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है. अपने उत्पादन को वैश्विक स्तर प्रतिस्पर्धी बना कर देश के विकास में अपना पूर्ण योगदान दे पाएंगे.
- चैक बाउंस पर सजा के प्रावधान कडे़ और समयबद्ध किये जाए.
- इलेक्ट्रीक व्हीकल की सब्सिडी निर्माता स्तर पर क्रेडिट की जाए, ताकि ग्राहकों को सब्सिडी के लिए चक्कर पा काटने पडे़। बैंकों को निर्देश दिए जायें की इलेक्ट्रीक व्हीकल को फाइनेंस करें.
- पेट्रोल व डीजल को जीएसटी में शामिल किया जाए.
- रिसाईक्लींग उद्योग व कचरे से बिजली बनाने वाले प्रोजेक्ट को प्राथमिकता दी जाए और इन पर सब्सिडी की घोषणा की जाए.
- उद्योगों में सोलर प्लांट लगाने पर 20 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाए, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग ग्रीन एनर्जी का उपयोग करें.
- एमएसएमई उद्योगों के लिए एमएसएमई क्रेडिट कार्ड जारी किए जाए जिसकी ब्याज दर कम हो ताकि लघु उद्योग बैंकों में कागजी कार्यवाही व कठोर नियमों के पालन में अपना समय वेस्ट न करके स्वयं अपनी जरूरतों को पूरा करने हेतू समय पर आवश्यकता अनुरुप पैसा ले सके और अपना पूरा ध्यान उत्पादन की गुणवत्ता और लागत पर लगा सके.
- लिथियम आयन बैट्री के निर्माण करने वाले उद्योगों को इनकम टैक्स में 11 वर्ष की छूट व केपीटल इन्वेस्टमेंट सब्सिडी की घोषणा की जानी चाहिए और इसको Thrust Area घोषित किया जाना चाहिए.
- श्रमिकों की मिनिमम वेजेज तय करने का अधिकार राज्य सरकार के पास ही होना चाहिए क्योंकि हर राज्य की भौगोलिक, आर्थिक व सामाजिक परिस्थितियां भिन्न भिन्न होती है उसकी समझ राज्यों को ही पूर्ण रुप से होती है अतः सही निर्णय वही कर सकते हैं.
- इंश्योरेन्स सेक्टर आम आदमी की जरूरत है और इसका महत्व भी है. इसलिए इस पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाना गलत है इस सेक्टर को जीएसटी से मुक्त करना चाहिए.
- क्रेडिट गारंटी स्कीम लघु उद्योगों के लिए ही है जो कि पोस्ट कोविड हालातों में कैश क्रन्च में जी रहे हैं और बैंकों ने इस लोन पर अघोषित रोक लगा रखी है. अतः केन्द्र सरकार को चाहिए कि बिना किसी सिबिल जांच व अन्य पैरामीटर्स को देखे लघु उद्योगों को कैसे समय से ये लोन उपलब्ध हो इसकी मानिटरिंग करे व औद्योगिक संगठनों को साथ लेकर प्रत्येक तिमाही में इसकी समीक्षा रिपोर्ट प्रकाशित करें.
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- नये श्रम कानूनों पर केन्द्र अपनी स्थिति स्पष्ट करे कि इन्हें कब से लागू किया जायेगा.
- कोविड से लड़ने के लिए जो उपकरण है जैसे ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट, कन्सट्रेटर, वेंटीलेटर आदि पर जीएसटी की दरें 5% प्रतिशत की जाए.
- एमएसएमई के लिए डेडीकेटेड आरएनडी सेंटर विकसित किए जाने चाहिए.
- 95 प्रतिशत से अधिक लेनदेन डिजिटल मोड में होने पर टैक्स ऑडिट की आवश्यकताओं को 10 करोड़ तक समाप्त कर दिया गया है। लेकिन प्राइवेट लिमिटेड इस पूर्वावलोकन से बाहर है. इसलिए सूक्ष्म एमएसएमई को कवर नहीं किया जाता है, भले ही उनके लगभग सभी डिजिटल मोड में हों। प्राइवेट लिमिटेड को पहले से ही कंपनी कानून की आवश्यकताओं के तहत अपने खातों का ऑडिट करवाना आवश्यक है। टैक्स ऑडिट के लिए उनकी छूट को प्राइवेट लिमिटेड तक भी कुछ 20 करोड़ टर्नओवर तक बढ़ाया जाना चाहिए.
- कंपनी कानून के तहत अनुपालन लागत के साथ-साथ दंडात्मक प्रावधानों को और अधिक सख्त किया जा रहा है जो कि आगे चलकर लघु उद्योगों के लिए मुश्किल हो सकता है. छोटी प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों को साझेदारी फ़र्म में बदलने का एक बार विकल्प पूंजीगत लाभ कर में आयकर राहत के साथ दिया जा सकता है, कुछ राइडर के साथ. जैसे व्यक्तियों द्वारा अचल संपत्तियों की बिक्री के लिए जहां आय को लॉक इन या किसी अन्य अचल संपत्ति में निवेश किया जाना अनिवार्य होता है.
- पूर्व में जिस कम्पनी का टर्न ओवर 10 करोड़ था अगर सेल 50 लाख से ऊपर था जो टीसीएस 0.1 प्रतिशत पैरा लगाया जाता वर्तमान में इसको हटाकर 0.1 प्रतिशत टीडीएस काट कर पेमेंट करता उससे बिल मैच नहीं करता है और उसको क्लेम करने में दिक्कत आती है.