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जयपुर: पिछले दिनों 25 सितंबर को प्रदेश में 81 विधायकों के इस्तीफे का मामला सोमवार को विधानसभा के सदन में गूंजा. निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा के विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव को सदन में रखने की अनुमति पर विपक्ष ने स्पीकर की व्यवस्था पर सवाल उठाए और खुद भी बोलने की मांग की. इस दौरान स्पीकर और उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के बीच लंबी बहस हुई. स्पीकर ने तल्ख लहजे में कहा कि, ' मेरे अधिकारों को चैलेंज नहीं करें मिस्टर राठौड़'. करीब 10 मिनट से ज्यादा स्पीकर और राठौड़ में बहस चलती रही.


इस दौरान स्पीकर ने नियम और प्रक्रिया की किताब पढ़ते हुए राठौड़ के हर सवाल का जवाब दिया. इसके बाद संयम लोढ़ा ने सदन में अपना प्रस्ताव रखते हुए बात कही. लोढ़ा के इस प्रस्ताव पर अध्यक्ष ने व्यवस्था देते हुए कहा कि अब आगे इस पर उच्च स्तर पर चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा.


दरअसल, बीते साल 25 सितंबर को कांग्रेस और सरकार समर्थक विधायकों के इस्तीफे का मामला निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने प्रश्नकाल के तत्काल बाद उठाना चाहा. लेकिन अध्यक्ष ने शून्य काल के बाद यह मामला उठाने को कहा. शून्यकाल खत्म होने के बाद लोढ़ा को स्पीकर ने बोलने की अनुमति दी, तो उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने नियम प्रक्रियाओं का हवाला देते हुए इस पर आपत्ति जताई. स्पीकर ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि नियम 157 में मुझे अनुमति देने का अधिकार है. इस दौरान विपक्ष के सदस्यों ने शोर शराबा शुरू कर दिया और कुछ विधायक वेल में आ गए.


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10 मिनट से ज्यादा सदन में चली बहस


अध्यक्ष और राठौड़ के बीच तीखी बहस भी हुई. स्पीकर ने आसन से अध्यक्ष के अधिकार भी पढ़कर सुनाए. 10 मिनट से ज्यादा सदन में चली बहस के बाद विधायक संयम लोढ़ा को बोलने की अनुमति दी गई. विधायक लोढ़ा ने सदन में कहा कि जिस मामले पर अध्यक्ष ने कोई फैसला नहीं किया और सदन के सदस्य के द्वारा प्रीमेच्योर स्टेज पर कोर्ट में ले जाकर विधान सभा के अध्यक्ष की गरिमा को आहत किया गई.


लोढ़ा ने संविधान की व्यवस्था का हवाला दिया


सदन के सदस्यों के अधिकारों को आहत किया गया. लोढ़ा ने संविधान की व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा कि संविधान में स्पष्ट व्यवस्था है कि विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय और सदस्यों के इस्तीफे के बारे में कई विधानसभा अध्यक्ष पहले निर्णय दे चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट भी इस पर फैसले दे चुका है. प्रीमेच्योर स्टेज पर किसी भी तरह से विधानसभा से संबंधित मामले को हाईकोर्ट में नहीं ले जाया जा सकता. लोढ़ा ने कहा कि, मैंने सचिव के जरिए विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव का नोटिस दिया हुआ है. विधानसभा से सीधे जुड़े मामले पर कोर्ट सुनवाई नहीं कर सकता.


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 प्रिविलेज मोशन पर हमें अपनी बात रखने का दिया जाएगा मौका
प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि प्रिविलेज मोशन पर हमें भी इस मामले पर अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाना चाहिए. स्पीकर बोले - यह मेरा काम है मान्यवर, आपका काम नहीं. मेरा काम भी आप करेंगे, तो यह बात ठीक नहीं है. संयम लोढ़ा के प्रस्ताव के बाद स्पीकर ने व्यवस्था देते हुए कहा कि अब इस पर उच्च स्तर पर विचार करने के बाद आगे निर्णय लिया जाएगा. इसके बाद सदन की कार्रवाई सुचारू रूप से शुरू हुई.