Vishkanya Yog : वैदिक ज्योतिष में कालसर्प, मांगलिक जैसे अशुभ योग के बारे में आप जानते होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कुंडली के उस योग के बारे में जो सिर्फ जातक को ही नहीं बल्कि उसके संपर्क में आने वाले हर एक शख्स को प्रभावित करता है. खासतौर पर विवाह के समय विषकन्या योग की जांच कराना जरूरी माना जाता है.


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विषकन्या योग का असर
ज्योतिष में बताया गया है कि अगर किसी कन्या की कुंडली में ये योग है तो उसके जीवन पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है. और साथ ही जहां उसकी शादी होती है. वो घर परिवार भी प्रभावित होता है. 


किसी कुंडली में पाप ग्रह यानि की शनि, राहु,केतु या मंगल अशुभ स्थिति में हो तो ये विषकन्या योग बनता है. जिस भी कन्या की कुंडली में ऐसा योग हो,उसे वटसावित्री व्रत करना चाहिए.


ऐसी कन्या के विवाह से पहले कुंभ, श्रीविष्णु, पीपल, शमी या बेर के वृक्ष के साथ उसका विवाह होना चाहिए. ताकि उसके पति पर पड़ने वाला प्रतिकूल असर ये वृक्ष खुद पर झेल जाएं.


विषकन्या योग से बचने के लिए सर्वकल्याणकारी “विष्णुसहस्त्रनाम” का पाठ करना अच्छा रहता है. वहीं देव गुरु बृहस्पति की आराधना से भी विषकन्या योग के अशुभ फल कम होते हैं.


विषकन्या योग जिसकी कुंडली में हो उसके खुद के जीवन पर और उसके संपर्क में आए हर एक शख्स के जीवनको प्रभावित करता है. अशुभ फलो की प्राप्ति होती है.


(डिस्क्लेमर- ये लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है. ZeeMedia इसकी पुष्टि नहीं करता है)


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