Scientific Facts on Periods: भारत में ऐसी कई मान्यताएं है जो सदियों से चली आ रही है, जिन्हें लोगों ने अपनी सोच के अनुसार ढाल लिया है और वही सोच आगे आने वाली पीढ़ी पर भी थोपी जा रही है, लेकिन क्या आप जानते है कि हर मान्यता के पीछे एक वैज्ञानिक तथ्य ( Scientific Facts) जुड़ा होता है, जो बहुत कम लोगों को पता रहता है. 


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ऋतु स्नान से पहले मानते है अपवित्र


ऐसी ही एक मान्यता महिलाओं से जुड़ी हुई है, भारत में जब लड़की अपने पीरियड्स में होती है तो उसे अपवित्र माना जाता है और इस दौरान उन्हें मंदिरों में जाने की भी इजाजत नहीं दी जाती, क्योंकि लोगों का यह मानना है कि उस समय अगर महिला मंदिर जाएगी तो मंदिर भी अपवित्र हो जाएगा. इसलिए ऋतु स्नान के बाद ही उन्हें परिवार के लोगों और घर में खाने-पीने की वस्तुओं को छूने की इजाजत दी जाती है.


क्या होता है ऋतु स्नान 


ऋतु स्नान महिलाओं को हर महीने आने वाले मासिक धर्म के बाद किए गए स्नान की एक प्रक्रिया को कहा जाता है. ऋतु स्नान को बहुत ही कम लोग जानते है. प्राचीन काल से ऋतु स्नान को एक उत्सव के रूप में मनाया जाता है. यहां पर ऋतु का मतलब आने-जाने वाले मौसम से होता है, जैसे बरसात का मौसम आने के बाद नए सृजन यानी हर पेड़-पौधों पर नए अंकुरण की शुरुआत होती है और पृथ्वी पर बरसात होने के बाद वह पूरी तरह से नई हो जाती है और नए पौधों की उत्पति होती है. वैसे ही स्त्रियां एक विशेष उम्र के बाद आने वाले मासिक धर्म को हर महीने दोहराती है जो एक चक्र के रूप में चलता है और इसी प्रकिया को ऋतु स्नान कहा गया है.



अपवित्रता से जुड़ा हुआ तथ्य


महिलाओं को पीरियड्स में मंदिर ना भेजने के पीछे एक बहुत बड़ा वैज्ञानिक तथ्य जुड़ा हुआ है, जिसे उनकी अपवित्रता से जोड़ दिया जाता है जो की बहुत गलत है. जानी-मानी Menstrual Educator सिनू जोसेफ ने महिलाओं के स्वास्थ्य से संबंधित शिक्षा कार्य को अपनाया था. सिनू को एक दिन एक लड़की ने मेल के द्वारा बताया कि नामजप सत्र में उपस्थित होने के बाद उन्होंने तीव्र दर्द महसूस किया. उस लड़की का यही सवाल था कि ऐसा क्यों होता है. फिर पता चला कि मासिक धर्म के दौरान ऊर्जा पृथ्वी में नीचे की ओर जाती है और पूजा के वक्त ऊर्जा ऊपर की ओर आती है जिससे शरीर में बेचैनी होने लगती है.



क्या कहना है मंदिर के पुजारी का


पीरियड्स के दौरान खून की कमी एक महिला को कमजोर बनाती है और मंदिरों में कठोर अनुष्ठान किए जाते हैं और उस वक्त विपरीत ऊर्जाएं खेल रही होती है. एक मंदिर के पुजारी ने इस तथ्य को इस तरह से समझाया कि इस अवधि के दौरान महिला एक देवी कहलाती है और देवता उसमें समा जाते हैं. इसलिए सद्भाव बनाए रखने के लिए महिलाओं को मंदिर जाने के लिए मना किया जाता हैं लेकिन लोगों ने इसे हमेशा अपनी सोच के हिसाब से समझा है. मासिक धर्म के संबंध के प्रचलित भ्रंतियों को मिटाने के लिए आप क्या करेंगे?