Jaipur: राजस्थान के जल जीवन मिशन में एक बार फिर से बड़ा फर्जीवाडा सामने आया है. पीएचईडी के वाटर एंड सैनेटाइजेशन सपोर्ट ऑर्गेनाईजेशन(WSSO) को जेजेएम में मर्ज करने की तैयारी चल रही है. केंद्र सरकार की गाइडलाइन को ताक पर रखकर डब्लूएसएसओ को जल जीवन मिशन में मर्ज किया जा रहा है.


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WSSO में अब किसका हुकुम?
डब्लूएसएसओ को सपोर्ट एक्टिविटी के लिए सालाना 666 करोड़ का बजट मिलता है. राज्य में स्टेट वाटर सेनेटाईजेशन मिशन(SWSM) के तहत डब्लूएसएसओ का गठन हुआ था. इस मिशन के जरिए राज्य के गांव, ढाणियों में विभाग की योजनाओं का प्रचार प्रसार किया जाता है. अब डब्लूएसएसओ को जल जीवन मिशन में मर्ज किया जा रहा है, जिसमें जेजेएम में अतिरिक्त मुख्य अभियंता की पोस्ट क्रिएट कर उन्हे सपोर्ट ​एक्टिविटी का कार्य सौपा जाएगा. ​इसके साथ-साथ सभी इंजीनियर्स को भी जेजेएम में मर्ज किया जाएगा. पहले अतिरिक्त मुख्य अभियंता हुकुमचंद वर्मा को डब्लूएसएसओ के डायरेक्टर थे. उन्होने ही एसीई पोस्ट क्रिएट करने के लिए फाइल चलाई थी, जिसके बाद में ईएसटीआई में उनका तबादला कर दिया.अब अधीक्षण अभियंता सतीश जैन को अतिरिक्त चार्ज दिया है.


लेकिन गाइडलाइन तो ये कहती है
जल जीवन मिशन पर केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक राज्य सरकार स्टेट वाटर एंड सेनेटाईडेशन मिशन में प्रचार प्रसार के लिए नियमित एम्पलाइज को कोई भुगतान नहीं किया जाएगा. केवल पारिश्रमिक अनुबंध पर रखे गए कर्मियों, पेंशेवर सलाहकारों को मानदेय का भुगतान किया जा सकताा है. गाइडलाइन के मुताबिक जल जीवन मिशन में अतिरिक्त मुख्य अभियंता की पोस्ट क्रिएट ही नहीं की जा सकती. इसके अलावा डब्लूएसएसओ में 3 एक्सईएन और एक एनईएन भी पोस्टेड है, उन्हे भी गाइडलाइन के खिलाफ जाकर जेजेएम में शामिल करने की तैयारी की जा रही है.


जोधपुर हाईकोर्ट में लगी याचिका
इसे पूरे मामले को लेकर विवाद छिड़ गया है. जोधपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाते हुए गुहार की गई है कि स्टेट वाटर एंड सेनेटाईडेशन मिशन के अंतगर्त डब्लूएसएसओ का गठन किया गया है. ऐसे में डब्लूएसएसओ का डायरेक्ट जल जीवन मिशन में मर्ज कैसे किया जा सकता है, क्योकि जल जीवन मिशन तो केंद्र सरकार की योजना है. पिछली योजनाओं का भी डब्लूएसएसओ के अंतगर्त प्रचार प्रसार किया गया तो फिर जेजेएम का प्रचार डब्लूएसएसओ के माध्यम से क्यों नहीं किया जा सकता.


जेजेएम चीफ इंजीनियर ने खडे़ किए सवाल
जल जीवन मिशन में मर्ज करने को लेकर चीफ इंजीनियर आरके मीणा ने सवाल उठाए है. मीणा ने कहा है कि कौन सा प्राधिकरण डब्लूएसएसओ से संबंधित देनदारियों का भुगतान करेगा. डब्लूएसएसओ के भंग होने के बाद सभी पीएचईडी कर्मचारियों को एपीओ माना जाएगा. हालांकि उनसे जब पूरे मामले पर सवाल किए उन्होने पूरे मामले की जानकारी से साफ इंकार कर दिया.


फर्जीवाडे पर क्या कहते है जिम्मेदार
1.सुबोध अग्रवाल,एसीएस,पीएचईडी
जोडने का निर्णय लिया है,पोस्ट क्रिएट करना राज्य सरकार का दायित्व है, जिसके लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है. ये दिशा निर्देश है, इसलिए केंद्र सरकार उन्हे बदल भी सकती है.


2.प्रताप सिंह,एमडी,जेजेएम
जेजेएम के एमडी प्रताप सिंह के कई बार हमने फोन से संपर्क करने की कोशिश की. वाट्सअप और मैसेज के जरिए सवाल पूछे, लेकिन प्रताप सिंह खामोश रहे.

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