ZEE रिजनल एडिटर मनोज माथुर हुए पंच तत्वों में विलीन
जी राजस्थान डिजिटल रिजनल के एडिटर मनोज माथुर का निधन साइलेंट हार्ट अटैक की वजह से हो गया. ZEE रिजनल एडिटर मनोज माथुर पंच तत्वों में विलीन हुए.
ZEE रिजनल एडिटर मनोज माथुर पंच तत्वों में विलीन हो गए. उनका निधन साइलेंट हार्ट अटैक की वजह से हुआ. अजमेर के गुलाब बाड़ी स्थित श्मशान में उनका दाह संस्कार किया गया. इस दौरान ज़ी मीडिया के बोर्ड मेंबर पुरुषोत्तम वैष्णव, आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़, के साथ जी राजस्थान रिजिनल की टीम के सदस्य मौजूद रहे. वहीं इस दौरान कांग्रेस के नेता भी उपस्थित थे.
जी राजस्थान टीम ने दी अंतिम सलामी
ज़ी राजस्थान डिजिटल टीम की ओर से अपने सेनापति मनोज माथुर सर को आंखों में आंसू लिए अंतिम सलामी दी जा रही है. मनोज सर जो एक मार्गदर्शक थे, जो एक बेहतरीन शख्स थे, जो खुशमिजाज थे, खबरों की दुनिया में अपनी विशेष पहनचान रखने वाले थे. आज वो इस दुनिया में नहीं हैं. उनके देहांत की खबर से टीम को तो अत्यंत दुख है ही साथ ही पत्रकारिता जगत ने एक अनमोल हीरा खो दिया है.
आंखों में आंसू लिए मुझे पता नहीं था कि आज इस स्टोरी को भी मुझे लिखना पड़ेगा.जो मेरे मार्गदर्शक थे, जो हंसमुख थे, जिन्होंने हर मौके पर फिर चाहे वो गलती हो या ब्लंडर हो हर मौक पर मेरा ही नहीं बल्कि पूरी टीम का साथ दिया.... आज उनके बारे में मुझे ऐसी स्टोरी लिखनी पड़ेगी ये सोच कर ही मेरी आंखों से आंसुओं का टपकना बंद नहीं हो रहा है. ये स्टोरी मैं मेरी और मेरी पूरी टीम की ओर से हमारे सबसे प्रिय मान्नीय डिजिटल रिजनल एडिटर मनोज माथुर सर के लिए लिख रहा हूं और उनको टीम की ओर से एक भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हूं.
सुबह-सुबह आज की शिफ्ट स्टार्ट हुई. सब कुछ रूटीन जैसा ही तो था...स्टोरी आइडिया पर काम कर रहा था...रिपोटर्स की स्टोरी करने का आज मन था, सब कुछ रूटीन लेकिन तब ही एक फोन ने हिलाकर रख दिया...पता चला कि मनोज सर की रात को साइलेंट हार्ट अटैक की वजह से डेथ हो गई है...बात सुनकर कानों पर विश्वास नहीं हुआ...पहला रिएक्शन यही था नहीं ऐसा हो नहीं सकता है,,,,बिल्कुल शॉक हो गया...अरे ऐसे कैसे हो गया...
मेरे साथ-साथ पूरी टीम का भी ये ही रिएक्शन था. बीती रात को मन में यही था कि मुद्दे पर एक बार सर से बात करूंगा.. उनको थैंक यू कहने का मन कर रहा था कि सर आप बहुत अच्छे हैं आपने पूरा सपोर्ट हमेशा किया है....लेकिन फिर ये सोच कर फोन नहीं किया कि देर हो गई है..अगले दिन शिफ्ट में सुबह की बात करूंगा...लेकिन फोन करने से पहले मेरे पास फोन आया कि मनोज सर का देहांत हो गया है....सोशल मीडिया पर जैसे ही इस बात का सभी को पता चला तो सभी ने नम आंखों से उनको श्रद्धांजलि दी. सबको धक्का लगा ये क्या हो गया,....मानों सभी को ही विश्वास नहीं हो रहा था कि ऐसा हो गया है....
टीम की सदस्य संध्या यादव की तरफ से श्रद्धांजलि
और ZEE Rajasthan के हीरोज... क्या हाल है? काम कैसा चल रहा है... तुम संध्या हो या स्नेहा...यार तुम दोनों के नाम में मैं हमेशा कंफ्यूज हो जाता हूं...खैर ... अपने को काम से मतलब..तुम दोनों ही बस अच्छा काम करो....' ये वो लाइनें हैं, जो ZEE Rajasthan की डेस्क पर काम करते हुए जब भी मुझसे आप कहते थे, ऐसा लगता था कि मानो टीम में समय-समय आप सबको हौंसला अफजाई की टॉनिक बांटते थे... समय चाहे कोई भी हो, न्यूजरूम में आपकी एंट्री के साथ ही हर शख्स में एनर्जी भर जाती थी.
मुझे याद है जब जब मैंने बतौर कॉपी राइटर टीम में सबसे जूनियर पद पर ज्वाइन किया था. एक छोटी सी गलती हुई थी. आपने पहले कॉल पर काफी डांटा पर जब आपको पता चला कि मैं न्यू ज्वाइनी हूं तो आपने मुझे दोबारा कॉल करके समझाया था और कहा था कि बेटा, मीडिया में गलती की गुंजाइश कम से कम रखना... ये वो समय था, जब आपकी गाइडेंस में मैंने काम करना शुरू किया था. तब से अब तक करीब साढ़े तीन साल हो गए. इन दिनों आपके साथ काम करके बस ये लगा कि सर आपने अपनी टीम को जिस राह पर चलना सिखाया, जिस ईमानदारी और सूझ-बूझ से खबरों को पहचानना सिखाया, उसकी कमी शायद ही कभी पूरी हो पाएगी.
सर हमें याद है कि आपने अपनी पूरी टीम को हमेशा एक जैसा प्यार और सपोर्ट दिया. जब-जब आपने मीटिंग ली, तब-तब कभी आप सख्त तो कभी नर्म मिजाज में नजर आए. हां, अपनी Digital Website को लेकर आपने दिन-रात एक कर दिए. न खुद चैन से बैठे, न बैठने देते थे. सर आपने ZEE Rajasthan की डिजिटल टीम के लिए जो-जो कदम उठाए, वह शायद कोई कर सकता है.
आगे बढ़ने के इस दौर में टीम में भी कई उतार-चढ़ाव आए पर सर आपने अपनी टीम के हर एंप्लॉय की समस्या को उस जिनी की तरह सुलझा दिया, जैसे कोई कभी बात नहीं हुई हो. आपने अपनी टीम को एडिटर से ज्यादा पिता की तरह प्यार दिया. सर यकीन नहीं हो रहा है कि जो हम लोग कल तक आपकी कॉल आने पर दूसरों से जुड़ी खबरें लिख रहे थे, आज हमें आपके लिए लिखना पड़ रहा है. कल तक ग्रुप में आपके मैसेजेस थे सर...पर अब वो मैसेजेस कभी नहीं आएंगे...
क्या यार...तुम लोग सिर्फ काम पर ध्यान दो..बाकी की चिंता मुझपर छोड़ दो...सर आपके सानिध्य में ZEE Rajasthan की टीम ने कई ऊंचाइयां हासिल की हैं...लेकिन बेरहम वक्त ने जो किया है, उसकी भरपाई कोई नहीं कर पाएगा...सर हमने आपने पत्रकारिता में जमना और मेहनत करना सीखा है...आपकी टीम कमजोर नहीं पड़ेगी...आंखें भरी हैं और ह्र्दय कांप रहा है अपने सेनापति को विनम्रपूर्ण श्रद्धांजलि देते हुए... आप अपनी टीम का हौंसला थे...हमेशा रहेंगे...We will Miss u Sir.
वीडियो टीम के सदस्य दीपक ने दी श्रद्धांजलि
कल तक सब सामान्य था, वो मुस्कुराहट, चेहरे पर लालिमा, आंखों में तेज. सब कुछ. पर आज की सुबह रौशनी लेकर नहीं आई. आज वो मुस्कुराहट यादों में सिमट गई. चेहरे की लालिमा तस्वीरों में कैद हो गई. आंखों का वो तेज टीम की आंखों के आगे से जा ही नहीं पा रहा. कान तरस रहे हैं ये सुनने के लिए टीम तैयार रहो. हम हर चनुतौयों से लड़ लेंगे. जब सर कहते थे कि मुझे अपनी टीम पर भरोसा है. तो वो शब्द हर किसी में एक नया जोश प्रदान करते थे.
आज हमारे बीच प्रिय मनोज माथुर सर नहीं रहे. ये शब्द लिखने से पहले कई बार हाथ कांप गए. उगंलियां मानो ये मानने के लिए तैयार ही नहीं थे, कि ये शब्द टाइप करने पड़ेंगे. आज मनोज माथुर सर का जाना कुछ ऐसा है जैसे सेनापति का चले जाना. जो चुनौतियों के सामने चट्ठान की तरह खड़ा रहता, जो दुश्मन के हर तीर को सबसे पहले अपने सीने पर लेने की ताकत रखता था. जो आगे खड़ा था तो ऐसा लगता कि वैतरणी भी आसानी से पार हो जाएगी.
एक बड़ा व्यक्तित्व, बड़ा दिल वाला इंसान जिसकी जगह कभी भरी नहीं जा सकती..
वहीं उनके एक पुराने मित्र विक्रम सिंह राजपुरोहित कुछ पुरानी तस्वीरें साझा कर कहते हैं कि 20 साल पुरानी ई टीवी ,रामोजी फिल्मसिटी के साथियों की ये धुंधली तस्वीरें, इन धुंधली तस्वीरों में मुस्कुराता हुआ , चमकीली आंखों वाला, खुशमिजाज़ व्यक्तित्व वाला एक चेहरा आज हमेशा हमेशा के लिए मिट गया....
ऐसा कभी नहीं हुआ जब कोई भी खास दिन हो या कोई त्यौहार हो , मनोज भाई का व्हाट्सएप मैसेज न आया हो, हर मैसेज के अंत में "इति शुभम" लिखने वाले मनोज जी का आज गणेश चतुर्थी पर " इति शुभम ' वाला मैसेज नहीं आया तो व्हाट्सएप ग्रुप्स देखने लगा.
उन्होंन कहा इति शुभम लिखने वाले मनोज जी के बारे में इतना अशुभ समाचार मिलेगा ये कभी नहीं सोचा था, ईटीवी के दौर के पुराने साथी, मित्र वरिष्ठ पत्रकार, राजस्थान मीडिया का जाना माना नाम,वर्तमान में ज़ी मीडिया में स्टेट एडिटर के रूप में कार्यरत श्री मनोज माथुर ने कम उम्र में ही बहुत ऊंचाईयां हासिल की थी ,लेकिन इतनी कम उम्र में इतने ज़्यादा दूर चले जाएंगे ,ये कभी नही सोचा था, विश्वास तो अभी भी नही है इस बात पर, लेकिन कांपते हाथों से लिखना पड़ रहा है....शत शत नमन मनोज भाईजी, ईश्वर आपकी आत्मा को शांति दे.
मनोज माथुर के एक और पुराने मित्र प्रदीप आजाद बतातें है कि अभी कुछ दिन पहले की थी जब हम पुराने दोस्त दिल्ली में मिले, कुछ पुरानी यादें ताजा की. मनोज हर दिल और खुशमिजाज था. हमेशा हर किसी की मदद के लिए तैयार रहता था. उसने वादा किया था कि सालों गुजर गए अब जयपुर में फिर चौकड़ी जमाएंगे.
मनोज सर का ट्वीट
#MM #ऐंवेंहीं
'सोएंगे तेरी गोद में एक दिन मरके, हम दम भी जो तोड़ेंगे तेरा दम भरके,
हमने तो नमाजें भी पढ़ी हैं अक्सर, गंगा तेरे पानी से वजू कर के...'
-नजीर बनारसी
हमेशा सैकड़ों लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगे सर
अपनी पंक्तियों को विराम देते हुए,,,पूरी टीम की ओर से सर को भावभीनी श्रद्धांजलि...सर आप हमेशा हम सभी के दिल में बसे रहेंगे....ईश्वर आपकी आत्मा को अमर शांति दे और आपको अपने चरणों में स्थान दे.