जैसलमेर: करोड़ों लोगों की आस्था के प्रतीक बाबा रामदेव जी के दरबार में उनके भक्त अलग अलग तरीकों से आते है और अपने आराध्यदेव की पूजा करते है. रामदेवरा स्थित बाबा रामदेव जी के समाधिस्थल के दर्शनों के लिए लाखों श्रद्धालु पैदल आते है, कोई दंडवत करते हुए आता है तो कोई लुढ़कते हुए बाबा के दरबार में अपनी हाजरी देता है. लेकिन भाट समाज पिछले चार सौ वर्षों से अनूठे तरीके से यहां आकर बाबा रामदेव जी की आराधना करता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

देशभर में फैले भाट समाज के लोग प्रतिवर्ष दीपालवी के बाद रामदेवरा पहुंचते हैं और यहां अस्थाई रूप से छोटे-छोटे टेंट लगाकर पंद्रह दिन तक खुले में रहकर बाबा रामदेव जी की आराधना करते है. इन दिनों एक पखवाड़े के लिए रामसरोवर तालाब के घाटों के पास, सरोवर की पाल पर, बस स्टेण्ड, वीआईपी रोड़, गणेश मन्दिर के पास गलियों में लगे इन टेंटों में निवास करने वाले साढ़े तीन सौ परिवारों के डेढ़ हजार भाट समाज के लोगों का खाना, पीना और रहना सब इन्ही टेंटों में होता है.


साधना के तौर पर रहता है रामदेवरा प्रवास


कागज की कलात्मक कटाई एवं खुबसूरत कसीदाकारी में निपुण भाट समाज के लोग देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी कला का प्रदर्शन करके अच्छा खासा मुनाफा कमाते है. आर्थिक रूप से भी सक्षम भाट समाज के लोग बाबा रामदेव को अपना इष्टदेव मानते है. इसलिए वर्षों पूर्व इस समाज के पुरखे रामदेवरा में खुले आसमान के नीचे डेरा जमाकर रहते थे. वर्तमान भौतिक युग में भी इस समाज के लोग खुले आसमान के नीचे रहने की परम्परा का निर्वाह साधना के तौर पर कर रहे है. इस समाज की अधिकता सोजत, अहमदाबाद, दिल्ली में है. विदेशों में भी यह निवास करते है. लेकिन चाहे कही पर भी हो दीपावली के बाद एक बार रामदेवरा में बाबा रामदेव जी के दरबार मे निवास करने के लिए कुछ दिनों के लिए जरूर आते है और यहां बाबा रामदेव जी की भक्ति करते है.


विशिष्ट भाषा शैली एवं पहनावा बना आकषर्ण
भाट समाज की विशेष भाषा शैली एवं पहनावा बाहर से आने वाले यात्रियों के लिये आकषर्ण का केन्द्र बना हुआ है. पिछले सैकड़ों वर्षों से भाट समाज के रामदेवरा आने की परम्परा के चलते रामदेवरा वासियों के साथ भी भाट समाज का पारिवारिक रिश्ता बन गया है. भाट समाज के लोग पन्द्रह दिनों की अवधि के दौरान प्रतिदिन दैनिक कार्यों से निवृत होकर बाबा रामदेव के दर्शनों के साथ साथ समाधि स्थल पर होने वाली आरतियों में शरीक होते हैं.


Reporter- Shankar dan