Jaisalmer: जैसलमेर जिले में डिस्कॉम के 106 जीएसएस हैं, जिनमें से एक में भी पर्याप्त फायर सेफ्टी उपकरण नहीं है. आमतौर पर गर्मी के मौसम में जीएसएस पर लगे ट्रांसफार्मरों के डीजल में आग लग जाती है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

देखते ही देखते वह आग इतनी विकराल हो जाती है कि दमकल कर्मियों को काबू पाने में पसीने छूट जाते हैं. नतीजतन उस क्षेत्र के उपभोक्ताओं को अघोषित बिजली कटौती की समस्या का सामना करना पड़ता है. वहीं डिस्कॉम को भी आगजनी से लाखों का नुकसान होता है.


यह भी पढे़ं- जयपुर घूमने का बना रहे हैं प्लान तो पहले पढ़ लें यह खबर, बाद में नहीं होगा पछतावा


 


डिस्कॉम को करोड़ों का नुकसान 
जानकारी के अनुसार, शहर भर में डिस्कॉम के 365 ट्रांसफार्मर हैं, जिन पर भी सुरक्षा के माकूल प्रबंध नहीं है. दो- ढाई वर्ष पूर्व 400 केवी आकल जीएसएस में भीषण आग लगी थी. इसके बाद डिस्कॉम ने सुधार और पुख्ता व्यवस्था करने की बात कही थी लेकिन धरातल स्थितियां पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हैं. आकल जीएसएस की भीषण आग पर स्थानीय फायर ब्रिगेड के साथ एयर फोर्स के एयर फायर ब्रिगेड ने आकर जीएसएस पहुंचकर आग पर काबू पाया. इस आगजनी में डिस्कॉम को करोड़ों का नुकसान हुआ था.


गर्मी में बढ़ जाती है आगजनी
मौसम में गर्मी के बढ़ने के साथ आगजनी की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. शहर के भीतरी भागों में लगे ट्रांसफार्मरों पर भी रिस्क बढ़ जाती है. विभागीय स्तर पर अभी से ही तैयारियां पूरी कर लेनी चाहिए जिससे कोई बड़ा हादसा ना हो जाए और उपभोक्ताओं को गर्मी की मार के साथ अघोषित बिजली कटौती की दोहरी मार झेलनी पड़े.


क्या बोले जैसलमेर बिजली विभाग के अधीक्षक अभियंता 
वहीं, जैसलमेर बिजली विभाग के अधीक्षक अभियंता जेठाराम चौधरी ने जानकारी देते बताया कि विभाग की और से हमने अपनी तरफ से पूरी तैयारी कर रखी है. आग की मुख्य वजह ट्रांसफार्मर के पास कचरा होने से होती है. उपभोक्ताओं को परेशानी से बचाना और डिस्कॉम को कोई नुकसान ना हो यही हमारा प्रयास है. 


जीएसएस की समय समय पर मॉनिटरिंग और देख-रेख की जाती है. साथ ही समय पर खराब मशीनों को बदला जाता है. वहीं, चिंता की बात नहीं है, हमने माकूल प्रबंध कर रखे हैं.


यह भी पढ़ें- मांडल: सरकारी टीचर पर गांव वालों ने लगाए गंदे आरोप, बोले- कई औरतों से हैं अवैध संबंध


अपने जिले की खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.