Jaisalmer News: जैसलमेर जिले के रामगढ़ की नहरों से शील्ट निकालने के ठेके अपने चहेतों और रिश्तेदारों को दिलावाना  किसानों के लिए मुसीबत खड़ी करना साबित हो रहा है. मामला नहरं से शील्ट नीकालने के ठेके से जुड़ा है जिसके ठेकों में जमकर धांधली  की बात सामने आई है.  इन ठेकों के लिए अधिकारिक प्रक्रिया सभी विज्ञप्ति ऑनलाईन ली जाती है लेकिन  हालात यह है कि उसमें नहरी अधिकारी हस्तक्षेप करते रहते  है और अपने चहेतो को ठेका दिलाने में  लगे रहते है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इस हस्तक्षेप में नहरी अधिकारी अपने चहेते ठेकेदार को पहले तो कम रेट में ठेका  देते है, बाद में नहरों से रेत निकालने की खानापूर्ति कर मिली भगत से राशि उठाकर बंदरबांट कर सरकार को चूना लगाते है. ऐसे ही एक चहेते ठेकेदार ने तनोट वितरिका की शील्ट निकालने का ठेका लिया था. तनोट वितरिका की रेत जल्दी और कम समय में निकालकर ज्यादा मुनाफा कमाने के उद्देश्य से ठेकेदार ने नहर में बुलडोजर उतार दिया. बुलडोजर ने रेत तो निकाली लेकिन साथ में नहर को पूरी तरह से उखाड़  के रख दिया.


ठेकेदार के इस कारनामें से रामगढ़ क्षेत्र के स्थानीय किसानों ने बताया कि तनोट वितरिका की 35 आरडी से 42 आरडी तक नहर को पूरी तरह से तोड़ दिया गया है. जो नहर पहले पक्की बनी हुई थी वो अब कच्ची नहर में तब्दील हो गई है. ऐसे में अब तनोट वितरिका के हजारों किसान अपनी बारी आने की आशंका के चलते खासे चिंतित  है. किसानों का कहना है कि नहर तोड़ने वाले ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई कर उसी ठेकेदार से नहर को हुए नुकसान की भरपाई करवा कर उसकी फर्म को ब्लेकलिस्ट किया जाए तथा भविष्य में ऐसे लापरवाह ठेकेदारों को ठेका नहीं दिया जाए. किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उस लापरवाह ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई  नहीं की गई तो मजबूरन किसानों को उग्र आन्दोलन करना पड़ेगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी जिला प्रशासन व नहरी विभाग की होगी.


तीन वर्षों से नहीं हुआ भुगतान
 नहरी क्षेत्र में आज भी ऐसी कई नहरें है जिनकी आज तक शील्ट नहीं निकाली गई और नहरी अधिकारीयों  के जरिए उन नहरों की शील्ट निकालने के नाम पर चहेते ठेकेदारों को लाखों का भुगतान करने की आशंका से नकारा नहीं जा सकता. बांट कर खाने वाले ठेकेदारों का भुगतान भी जल्दी हो जाता है और जो ठेकेदार ईमानदारी से काम करते है उन्हें भुगतान करवाने में नहरी विभाग के कई चक्कर काटने पड़ते है. वहीं,  कुछ ऐसे ठेकेदार  ऐसे है जो पिछले तीन सालों  से अपने भुगतान का इंतजार कर रहे है और अधिकारीयों के यहां बार बार हाजरी लगाने को मजबूर है. इन तीन वर्षों में अधिकारी भी बदले गए लेकिन उन ईमानदार ठेकेदारों का भुगतान नहीं हुआ. यहां बांट कर खाने वाले भ्रष्ट ठेकेदारों का भुगतान बिना किसी जांच पड़ताल के शीघ्र कर दिया जाता है लेकिन ईमानदारी से काम करने वाले ठेकेदार जांच पड़ताल में खरे उतरने के बाद भी भुगतान के लिए अधिकारीयों के चक्कर काटने को मजबूर है.