Jaisalmer News: जैसलमेर के नहरी के इलाक़े के मोहनगढ में ट्यूबवेल की खुदाई की जा रही थी. तभी अचानक से जमीन धंस गई . इस दौरान खुदाई में लगा ट्रक और मशीन दोनों गहरे गड्ढे में समाते चले गए. वहीं, जमीन फटी और अचानक से तेज धार में पानी बाहर आ गया. जैसलमेर में जबसे जमीन से पानी का फब्बारा फूटा है, हर तरफ सरस्वती नदी की चर्चा हो रही है. दूर-दूर से लोग पानी देखने जा रहे हैं. 


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जैसलमेर में जबसे जमीन से पानी का फब्बारा फूटा है, हर तरफ सरस्वती नदी की चर्चा हो रही है. दूर-दूर से लोग पानी देखने जा रहे हैं. लोगों का मानना है कि विलुप्त हुई सरस्वती नदी वापस से प्रकट हो गई है. आइए जानते हैं कैसे विलुप्त हो गई थी नदी.



वैज्ञानिक अब तक इसे लेकर पूरी तरह से सहमत नहीं हैं कि कभी भारत के इस क्षेत्र में सरस्वती नदी थी भी. हालांकि इसके अस्तित्व को लेकर तमाम तरह के दावे किए जाते रहते हैं. कुछ वैज्ञानिकों का दावा रहा है कि भौगोलिक, जलवायु और मानवजनित कारणों से सरस्वती नदी का अस्तित्व समाप्त हो गया था.



वहीं सरस्वती नदी हिमालय के ग्लेशियरों से बनी थी. भूगर्भीय हलचलों के कारण हिमालय से बहने वाली अन्य नदियों सतलुज और यमुना ने अपना मार्ग बदल लिया था. वहीं सरस्वती नदी सूख गई. जबकि कुछ का मानना है कि सरस्वती नदी का मुख्य जलस्रोत सतलुज और यमुना थीं. जब इन नदियों ने अपना मार्ग बदल लिया, तो सरस्वती नदी के पास बहने के लिए पानी नहीं बचा और वह सूख गई.



इसके सूखने का अहम कारण जलवायु परिवर्तन को भी माना जाता है. 4000-3000 ईसा पूर्व के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप में जलवायु काफी शुष्क होने लगी थी. मानसून कमजोर होने से नदी के जलस्तर में गिरावट आई और सरस्वती नदी विलुप्त हो गई. वहीं राजस्थान के थार क्षेत्र में तेजी से रेगिस्तान का विस्तार भी सरस्वती नदी के विलुप्त होने का एक कारण माना जाता है.