Ramdevra, Jaisalmer News: वर्तमान समय में आधुनिकता की चकाचौंध के बावजूद रामदेवरा में आने वाले भाट जाति के परिवार के लोग तीन सदी पुरानी परंपरा का निर्वाह अपने पूरे परिवार जनों के साथ कर रहे हैं. अहमदाबाद, दिल्ली, सूरत, सोजत सहित अन्य स्थानों से इन दिनों भाट परिवार के 500 से अधिक परिवारों ने रामदेवरा मेला मैदान में अपना पड़ाव डाल रखा है. 


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शारीरिक व आर्थिक रूप से संपन्न होने के पश्चात भी सभी लोग खुले आसमान के नीचे अपने परिवार जनों के साथ अस्थाई कनात डालकर विश्राम कर रहे हैं. पुरुष व महिलाएं आपस में मिलकर सुबह एवं शाम के समय खाना बनाने सहित अन्य दैनिक गतिविधियों का काम खुले आसमान के नीचे ही करते हैं. 



तीन-चार सदी पहले से ही भाट परिवार के लोग यहां पर बाबा की समाधि के दर्शन करने आते थे, तो धर्मशाला वह होटल में रुकने की बजाय हुए खुले आसमान के नीचे ही पड़ाव डालकर अपना समय व्यतीत करते थे. छोटी-बड़ी बुजुर्ग सहित सभी महिलाओं का पहनावा भी तीन सदी पहले वाला ही है. घुटनों तक का घाघरा बदन पर छोटी चोली पहनी हुई महिलाएं सभी के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.



बड़े-बड़े महानगर में रहने के पश्चात आर्थिक रूप से संपन्न होने पर भी सभी लोग यहां पर एक पखवाड़े के लिए खुले आसमान के नीचे ही रहना पसंद करते हैं. पारिवारिक सामाजिक जितने भी मामले जो विवाद वाले होते हैं, वह भी सभी एक मंच पर बैठकर बड़े बुजुर्गों की सहायता से यही निपटाए जाते हैं. 



शादी-विवाह समारोह सहित अन्य प्रकार के जो भी फैसले होते हैं. वह भी यही एक जाजम पर बैठकर बड़े बुजुर्गों द्वारा किए जाते हैं, जिसकी पालना आज भी युवा पीढ़ी के बच्चे कर रहे हैं. 



युवा पीढ़ी शिक्षा के प्रति सचेत नहीं दिखाई दे रहे हैं.  रामसरोवर तालाब पर छोटा सा गांव सा नजारा देखने को मिल रहा है, जहां पर सैकड़ो लोग एक साथ रह रहे है. रामदेवरा मे विविधता में एकता की अनूठी मिसाल इन दिनों धार्मिक स्थल रामदेवरा में देखने को मिल रही है. देश भर से आने वाले लोगों के लिए भाट परिवार आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.