Bhinmal: सुराणा गांव में दलित छात्र इंद्र मेघवाल की मौत का मामला एक बार फिर से चर्चा में है. इस बार यह चर्चा गुजरात से शुरू हुई है. 400 से ज्यादा दलित महिलाएं एक विशाल आकार के मटके के साथ गुजरात से सुराणा वाया रानीवाड़ा की ओर निकली हैं. 


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रानीवाड़ा प्रशासन ने इस काफिले को गुजरात सरहद पर राज्य सीमा में 3 घंटे तक रोके रखा. बाद में उच्चाधिकारियों के निर्देशों पर काफिले को राज्य में प्रवेश दिया गया.  दलित महिलाओं का यह दल शाम को सुराणा पहुंचा, जहां दलित परिवार को मदद के तौर पर एकत्रित पौने 3 लाख रुपये राशि प्रदान की गई. 


बता दें कि गुजरात में दलित जागरूकता को लेकर दलित नारी सेवा केंद्र सहित कई संस्थाओं के बैनर तले 8 राज्यों के 1233 सौ गांवों के प्रत्येक दलित घर से एक-एक रुपये एकत्रित कर पौने तीन लाख रुपये इकट्ठे हुए. उस राशि को एक वाहन में विशाल मटका में रखकर रैली के रूप में सुबह 4 बजे गुजरात के अहमदाबाद से रवानगी हुई थी. इस मटके में दलित समाज की ओर एकत्रित राशि रखी हुई है. 


ऐसे में प्रशासन का कहना था कि मटके को कपड़े से ढककर राज्य में प्रवेश करें. इस बात का महिलाओं ने विरोध किया और तीन घंटे तक बहसबाजी होने के बाद उच्चाधिकारियों के निर्देशों पर मटका रैली को बिना ढके राज्य में प्रवेश दे दिया गया. सुराणा गांव में कानून एवं शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन मुस्तैद रहा अतिरिक्त पुलिस जाब्ते के साथ कई थानों की पुलिस रही. मौजूद अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जालोर, डॉक्टर अनुकृति उज्जैनिया सायला, एसडीएम सूरजभान विश्नोई मौके पर रहे मौजूद. 



अभी तक बरकरार है छुआछूत 
 दलित महिला कार्यकर्ता नीतू रोहिण ने बताया कि आजाद भारत में अभी तक छुआछूत और घूंघट का सिस्टम बरकरार है. लोकतंत्र में मटकी लेकर रैली निकालने में पाबंदी संविधान सम्मत नहीं है, जबकि, इस रैली में 8 राज्यों की जनता का समावेश है. महिलाओं का कहना है कि मटकी को अगर ढकना था, तो राज्य के प्रशासन को ढकना चाहिए. 


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Reporter- Dungar Singh