Jalore: राज्य सरकार एवं कलेक्टर के निर्देशन में जिले में कुपोषण एवं एनीमिया की दर को कम करने के लिए प्रत्येक मंगलवार को शक्ति दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. साथ हीं, मिशन सुरक्षा चक्र कार्यक्रम के तहत जिलेभर में स्वास्थ्य केन्द्रों, आंगनवाड़ियों, राजकीय विद्यालय और आवसीय विद्यालयों में सर्वे कर हिमोग्लोबिन की जांच कर एनीमिया की पुष्टि होने पर उपचार किया जा रहा है.


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वहीं, जिले में 5 वर्ष तक के बच्चों का सर्वे आंगनवाड़ी केंद्रों पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा किया जा रहा हैं. 5 से 19 वर्ष तक मेल-फीमेल बच्चों की स्क्रीनिंग आशा कार्मिकों द्वारा घर-घर जाकर की जा रही है. जिले भर के स्वास्थ्य केंद्रों पर एनीमिया की रोकथाम के लिए जांच कर बालिकाओं और गर्भवती माताओं को आईएफए टैबलेट देकर उपचार किया जा रहा है. 


सर्वे के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा वर्कर्स द्वारा एनीमिक लक्षण पाए जाने वाले बच्चों की एएनएम द्वारा हिमोग्लोबिन जांच की जा रही है, जिसमें एनीमिया की पुष्टि होने पर बच्चों को आईएफए टैबलेट और सिरप देकर उपचार किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त 19 साल से ऊपर सभी महिलाओं का सर्वे किया जाएगा, इनमें भी एनीमिक पाए जाने पर उनकी जांच कर इलाज किया जाएगा. 


कलेक्टर के निर्देशानुसार जिले के समस्त राजकीय विद्यालयों और आवासीय विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के हिमोग्लोबिन की जांच की जा रही है. वहीं, मंगलवार को राजकीय आवासीय विद्यालय में हीमोग्लोबिन की जांच की गई. हिमोग्लोबिन जांच के दौरान एनीमिक पाए गए बालकों का आईएफए गोली देकर उपचार किया गया. 


अब तक जिले में 10 ग्राम से कम हीमोग्लोबिन वाली लगभग 2000 से अधिक गर्भवती महिलाओं को आयरन सुक्रोज की डोज लगाई जा चुकी है. जिला आशा समन्वयक रमेश पन्नू ने बताया कि अब तक जिले में 4.68 लाख लोगां की सर्वे द्वारा स्क्रीनिंग की जा चुकी हैं, जिसमें अब तक लक्षणों के आधार पर लगभग 12, 000 से अधिक एनीमिक पाए गए हैं और  3.19 लाख लोगों की हिमोग्लोबिन की जांच की जा चुकी है. इसमें लगभग 13, 000 लोगों का हिमोग्लोबिन 11 ग्राम से कम पाया गया है. 


Reporter- Dungar Singh