जालोर: आज के लोग फैशन और ग्लैमर की चकाचौंध में डूबे हुए हैं. सोशल मीडिया की आभासी दुनिया ने उसे अपने जाल में जकड़ रखा है, ऐसे में परिवार और समाज से वह दूर होता जा रहा है. जल्द पैसा कमाने और प्रसिद्धि पाने की अंधी दौड़ में वह शामिल हो चुका है. इसी समाज में बिरले लोग अपने कार्यों से इस समाज और देश के लिए प्रेरणा बन जाते हैं. ऐसे ही एक शख्स हैं मोहनलाल बिश्नोई. मोहनलाल बिश्नोई स्वामी विवेकानंद के उस कथन को चरितार्थ करते हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि ''मैं उस भगवान की सेवा करता हूं जिसे अज्ञानी लोग मनुष्य कहते हैं.''


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पेशे से किसान मोहनलाल बिश्नोई गत 13 साल से एक बेसहारा 90 वर्षीय वृद्ध महिला की सेवा कर अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हैं. बेसहारा बुजुर्ग की सेवा करने का जज्बा उन्हें अन्य युवाओं से अलग करता है. दरअसल,  सन 2010 में एक वृद्ध महिला चंद्रा मोतीपुरी मोहनलाल के घर के पास आकर बैठ गई. न इनके कोई आगे और न ही पीछे. हालांकि वृद्धा के परिवार में उनकी तीन पुत्रियां, एक पुत्र व पति थे.


पति और पुत्र की बीमारी से मौत


पति व पुत्र की बीमारी के कारण मौत हो गई और तीन पुत्रियों की शादी होने के बाद वे कभी वापस अपनी मां को देखने नहीं आई.हालांकि यह परिवार सन 2000 में किसी स्थान से आकर डावल में रहने लगा.लेकिन 2010 से इस वृद्धा को दिखना व सुनना व चलना बंद हो गया.जिससे महिला के खाने-पीने के लाले पड़ने लगे.फिर क्या था डावल निवासी मोहनलाल बिश्नोई का परिवार इस बेसहारा वृद्धा के लिए फरिश्ता बनकर आया.जो गत 13 साल से इस बेसहारा वृद्धा की देखभाल कर रहा है.


मोहनलाल बिश्नोई के परिवार ने बुजुर्ग महिला की देखरेख


डावल निवासी मोहनलाल बिश्नोई की पत्नी बाली देवी सुबह से लेकर शाम तक इस बेसहारा वृद्धा की दिनचर्या में पूरे दिन लगी रहती है सुबह चाय-नाश्ते से लेकर दोपहर के भोजन व शाम के भोजन में नियमित देखभाल करती है साथ ही वृद्धा को समय-समय पर स्नान,कपड़े भी बाली स्वयं धोकर देती है.वहीं वृद्धा को किसी भी चीज की जरुरत होती है तो वह आवाज लगाते ही उनके लिए चीज हाजिर हो जाती है. गत 13 साल से इस बेसहारा 90 वर्षीय वृद्ध महिला की सेवा करने वाले डावल निवासी मोहनलाल बिश्नोई के परिवार की क्षेत्र में चर्चा का विषय है और लोग भी सोचने को मजबूर है कि आखिर ऐसे कम ही लोग मिलते है जो इस तरह के सामाजिक सरोकार का काम करते है.