Bhinmal: राजस्थान के जालोर जिले के भीनमाल नगर पालिका क्षेत्र में आमजन को राहत देने के लिए प्रशासन शहरों के संग अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन पालिका और अन्य विभागों के अधिकारियों और कार्मिकों की अनुपस्थिति से शिविर केवल औपचारिक शिविर नजर आ रहा है. शिविर में परिवादी अगर नगरपालिका या अन्य विभाग के लिए परिवाद लेकर पहुंचता है, तो परिवाद को सुनने वाला भी कोई नहीं मिलता है. शिविर में गिने चुने कार्मिक ही उपस्थित मिलते है.


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बता दें कि राज्य सरकार ने आम लोगों को राहत देने के लिए प्रशासन शहरों और गांवों के संग अभियान शुरू किया है. लेकिन जमीनी हकीकत पर मॉनिटरिंग के अभाव में शिविर में केवल औपचारिकता ही हो रही है. आमजन आज भी काम को लेकर पालिका और शिविर स्थल के चक्कर लगा रहे हैं. धन बल वालों के काम बिना चक्कर लगाए ही हो रहे है, जबकि गरीब और पिछड़े लोगों की ना तो नगरपालिका ना ही प्रशासन सुनवाई कर रहा है. पालिका के कार्मिक आवेदन की फाइल जमाकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते है. 


उन फाइलों पर थोड़े दिन निकल जाने के बाद केवल मिट्टी जमा होती है. शिविर से आवेदन की फाइल पालिका तक पहुंचकर ठंडे बस्ते में चली जाती है. शहर में पालिका द्वारा धन बल के आधार पर पट्टे जारी करने की चर्चा जोरों शोरों से हो रही है. पालिका चेयरमैन पति और अधिकारियों द्वारा मोटी रकम लेकर पट्टे जारी करने की सुबगुहाट भी बाजार में हो रही है. पट्टे जारी करवाने वाली पार्टी भी पट्टा लेकर काफी लालयित होकर लोगों से चर्चा कर रही है.


पालिक क्षेत्र में वार्डवार चल रहे शिविर में आमजन के कार्य नहीं होने पर बोर्ड के कांग्रेसी पार्षद ही आगे आकर विरोध जता रहे है. इतना ही नहीं शिविर में विभागों के कार्मिक भी नहीं पहुंच रहे है. ऐसे वार्डवार चल रहे शिविर में कार्मिकों की उपस्थिति का अंदाजा पार्षद द्वारा शिकायत करने पर उपखंड अधिकारी जवाहरराम चौधरी के निरीक्षण पर पता लगा. उपखंड अधिकारी ने निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित कार्मिकों की गैर हाजरी लगाई. साथ ही शिविर में मौजूद कार्मिकों को आमजन के काम नहीं करने की शिकायत पर खरी-खोटी भी सुनाई. 


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प्रशासन शहरों के संग शिविर में उपखंड अधिकारी के समक्ष कांग्रेसी पार्षद मुस्ताक खान ने पट्टे वितरण में भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि शहर में आबादी क्षेत्र में कई वर्षों से निवास कर रहे लोगों को नियमों का हवाला दिया जा रहा है, जबकि चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमावली ही बदल कर तुरंत पट्टे जारी किए जा रहे है. नगरपालिका में चेहतों को नियम विरुद्ध पट्टे जारी करने की कई शिकायतें भी मुख्यमंत्री, स्वायत शासन विभाग और जिला कलेक्टर तक पहुंच चुकी है, लेकिन उन शिकायतों पर कार्रवाई कब होगी यह देखना होगा.


बता दें कि शिविर में पट्‌टा शाखा में ही वही हालात है, जो आम दिनों में देखे जाते हैं. इसमें कई दलाल सक्रिय हैं. इनके आवेदन प्राप्त करने के बाद तीन दिन में ही पट्‌टा दे दिया जाता है, लेकिन पट्‌टा शाखा के मनमौजी रवैये के चलते आम आदमी को आज भी पट्टे के लिए चक्कर लगाने पड़ते हैं. हर बार आवेदक को फाइल नहीं मिलने, मीटिंग नहीं होने, कार्मिक की अनुपस्थिति इत्यादि का हवाला देकर लौटा दिया जाता है, जबकि दूसरी ओर 10 से 15 फाइलें एक साथ लाने वाले दलालों के काम हाथों-हाथ हो जाते है. इतना ही नहीं शहर में ऐसी भी चर्चा है कि चेयरमैन पति और अधिकारी दलालों के मार्फ़त मोटी रकम लेकर उनके कार्य हाथों-हाथ कर रहे है. अब देखने वाली बात होगी की राज्य सरकार मंशा अनुरूप कार्य नहीं करने वालों पर कब कार्रवाई करेगी और आमजन को शिविर का लाभ कब मिलता है.


Reporter: Dungar Singh


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