Jalore: कथावाचक संतोष सागर महाराज ने कहा कि भागवत कथामृत ये वेदों का पका पकाया फल है जिसे बार बार पीयो. ये रस श्रवण छिद्रों से यानी कानों से पिया जाता है.


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वे श्रीजलंधर नाथ धर्मशाला में सनातनधर्म यात्रा आयोजन समिति के तत्वावधान में चल रही भागवत कथा महोत्सव के दूसरे दिन मंगलवार को कथा वाचन कर रहे थे. उन्होंने कहा कि भागवत भगवान कृष्ण का वांगग्मय स्वरूप है शब्द विग्रह है.इसमें 12 अध्याय 335 स्कंध और 18000 श्लोक है. सबसे पहले ये कथा भगवान नारायण के मुख से निकली तो ये विष्णु मुखी कहलाई . 


गंगा भगवान के चरणों से निकली तो वह विष्णु पदी कहलाई. ब्रह्मा जी ने चतुर्थ श्लोकी कथा नारद को सुनाई.वेद व्यास जी ने चतुर्थ श्लोकी कथा का विस्तार किया. कथावाचक ने शुकदेव जी और राजा परीक्षित के जन्म की कथा सुनाते हुए कहा कि दोनों ने गर्भ में भगवान के दर्शन किए. भगवान ने अंगूठे जितना चतुर्भुज रूप देह धारण कर परीक्षित की गर्भ में रक्षा की.राजा परीक्षित और कलियुग की कथा सुनाई. कलयुग के प्रभाव से राजा परीक्षित द्वारा संत अपमान की पूरी कथा, तक्षक सर्प श्राप वाला प्रसंग सुनाया.


संतोष सागर ने भीष्म पितामह के त्याग की कथा सुनाई. महाराज ने कपिल भगवान देवहूति संवाद दिव्य वर्णन किया. भगवान कपिल में मां को सांख्य शास्त्र का उपदेश देश हुए कहा कि सुख दुख व्यक्ति के कर्मों का फल है उन्होंने कहा सुख दुख शरीर की अनुभूति है आत्मा का विषय नहीं है. इस कथा का आयोजन ओमकार सेवा संस्थान चेरीटेब्ल ट्रस्ट के तत्वावधान में किया जा रहा है.


कैदियों को दिया प्रायश्चित का ज्ञान


सनातन धर्म यात्रा के तहत मंगलवार प्रातः कथवाचक संतोष सागर जिला कारागृह जालोर पधारे जहां बंदियों को संबोधित करते हुए कहा कि जेल कारागृह नहीं सुधार गृह है. जहां हमें अपराध करने के बाद सुधारने का अवसर दिया जाता है. उन्होंने कैदियों को अपराध का पश्चाताप और प्रायश्चित्त करने का संदेश दिया. 


स्वाध्याय का महत्व बताते हुए उन्होंने कैदियों से कैद का समय स्वाध्याय में व्यतीत करने की सीख दी. यात्रा संयोजक शिव कुमार तिवाड़ी ने बोलते हुए कहा की अपराधिक प्रवृति गलत संस्कारों एवम बुरी संगत के कारण पैदा होती है. आध्यात्म से बुरे विचार मन में नहीं आते. यज्ञ से हुआ दिन का प्रारंभ- आज प्रातः विश्व कल्याण हेतु विश्व कल्याण हेतु यज्ञ किया गया.


Reporter-Dungar Singh


 


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