Sanchore news : सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड शाखा की मनमानी ,किसान परेशान
Sanchore news : जिले के चितलवाना उपखंड मुख्यालय पर स्थित द जालौर सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड शाखा चितलवाना की मनमानी की जा रही है बैंक की ओर से किसानों को उनके खाते में जमा पूरी राशि उन्हें नहीं दी जा रही है जिस कारण किसान लगातार बैंक के चक्कर पर चक्कर लगा रहे हैं
Sanchor news : सांचौर जिले के चितलवाना उपखंड मुख्यालय पर स्थित द जालौर सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड शाखा चितलवाना की मनमानी की जा रही है बैंक की ओर से किसानों को उनके खाते में जमा पूरी राशि उन्हें नहीं दी जा रही है जिस कारण किसान लगातार बैंक के चक्कर पर चक्कर लगा रहे हैं .
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा करवाने वाले किसानों के खाते में क्लेम की राशि जमा हुए 2 माह से अधिक का समय बीत गया है राशि निकालने के लिए किसान बैंक और ग्राम स्तर पर समिति के चक्कर लगा रहे हैं किसानों के खातों में राशि जमा होने के बावजूद भी बैंक अधिकारी किसानों को पूरी राशि नहीं दे रहे हैं.
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किसानों मे आक्रोश
जिससे किसानों में आक्रोश भी देखने को मिल रहा है किसानों का कहना है कि क्लेम की राशि उनके खाते में जमा हो गई है लेकिन उन्हें निकालने के लिए दर-दर की ठोकरे खानी पड़ रही है किसान एक साथ एक मुस्त राशि लेना चाहते हैं लेकिन बैंक की ओर से मात्र 5000 रूपए देकर इतीश्री की जारी है.
जी मीडिया की टीम से किसानों ने बताई पिड़ा
जी मीडिया की टीम ने किसानों से बात की तो किसानों ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि बैंक अधिकारी मनमानी कर रहे हैं किसानों को सही से कोई जवाब भी नहीं दिया जा रहा है और ना पुरा पैसा दिया जा रहा है जिस कारण किसान परेशान है बैंक में बैठे कैशियर से बात करनी चाहिए तो उन्होंने कहा कि ग्राम सेवा सहकारी समिति स्तर पर पेमेंट किया जा रहा है बैंक में पैसा है वो नरेगा के लिए रखा हुआ है लेकिन उसमें से भी हम किसानों को 5-5 हजार रुपए दे रहे हैं .
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बैंक अधिकारी कोई जवाब नहीं दे रहे
ग्राम सेवा सहकारी समिति भी पेमेंट कर रही है लेकिन किसानों का कहना है कि वहां पर भी पेमेंट नहीं किया जा रहा है ऐसे में मजबुरन बैंक आना पड़ रहा है लेकिन यहां भी बैंक अधिकारी कोई जवाब नहीं दे रहे कैशियर ने तो यहां तक कह दिया कि किसान बैंक में फालतू की भीड़ कर रहे हैं और यह भी कहा की किसानों की क्यों सुनते हो? लेकिन बड़ा सवाल उठ रहा है कि आखिर किसानों को उनके हक के पैसों के लिए इतने चक्कर क्यों कटवाए जा रहें हैं.