Jhunjhunu News: आप पार्टी छोड़ने के बाद अब विख्यात कवि डॉ. कुमार विश्वास अपने कार्यक्रमों में व्यस्त है. इसी क्रम में वे झुंझुनूं के बलवंतपुरा पहुंचे. जहां पर कोई कवि सम्मेलन नहीं था. डूंडलोद गर्ल्स स्कूल के उद्घाटन के बाद उन्होंने आमजन को जो कहा. उससे यही कयास लगाए जा रहे है कि डॉ. कुमार विश्वास के मन में कहीं ना कहीं राजनीति में हुई उनके साथ कथित दगाबाजी से वे आज भी दुखी है. साथ ही वे राजनीति के हालातों को लेकर आज भी अपना मत एक आम हिंदुस्तानी की तरह रखते है और दोनों ही प्रमुख पार्टियों कांग्रेस और भाजपा को लेकर उनके मन में खटास है.



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बहरहाल, इसे एक कथित दगाबाजी के शिकार नेता का दर्द भी मान सकते है तो कवि के लिहाज से मनोरंजन के रूप में किया गया व्यंग्य. साथ ही आने वाली पीढ़ी के लिए सीख भी है. पर यह सच है डॉ. कुमार विश्वास, यदि कुछ बोल रहे है तो कुछ तो बात होगी. 


झुंझुनूं के बलवंतपुरा में  डॉ. कुमार विश्वास ने कसा तंज


झुंझुनूं के बलवंतपुरा में डूंडलोद गर्ल्स स्कूल का शुभारंभ करते पहुंचे कवि डॉ. कुमार विश्वास ने अपनी ही पुरानी पार्टी आप नेताओं पर जमकर निशाने साधे. उन्होंने तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का नाम लिए बगैर कहा कि हमने भी एक सरकार बनाई थी. जिसमें शिक्षा मंत्री 12वीं पास व्यक्ति था. जिसके पास 12वीं पास की मार्कशीट के अलावा बस एक डिप्लोमा है. जो आज तिहाड़ में विश्राम कर रहे है. यदि उन्हें दुरदृष्टा नहीं होती तो वे भी तिहाड़ में ही होते. उन्होंने कहा कि उन्होंने चौथी पास आदमी के साथ सामाजिक आंदोलन लड़ा और सर्वोच्च एजुकेशन प्राप्त करने वाले व्यक्ति के साथ राजनीति की. दोनों की सोच में अंतर मिला. 


 राजनीति में मेरा टाइम खराब था, बाकी सब ठीक था- कुमार विश्वास 


उन्होंने कहा कि हम एक धनी व्यक्ति को टिकट देते थे और उसे कहते थे कि दो-तीन गरीब विधायक उम्मीदवारों को भी चुनाव तुम्हें ही लड़ाना है. उन्होंने कहा कि राजनीति में मेरा टाइम खराब था, बाकी सब ठीक था. उन्होंने अरविंद केजरीवाल के नाम लिए बगैर एक कविता भी गाई. जिसमें उन्होंने कहा कि शॉल ओढ़कर घी पीने वाले व्यक्ति देखे है.


गांधी, नेहरू और सावरकर को लेकर बयानबाजी पर भी गुस्सा उतारा


इस मौके पर डॉ. कुमार विश्वास ने भाजपा और कांग्रेस में चल रही गांधी, नेहरू और सावरकर को लेकर बयानबाजी पर भी गुस्सा उतारा. उन्होंने कहा कि गांधी को गाली निकाल रहे है. नेहरू को गाली निकाल रहे है. सावरकर का चैप्टर कौनसे पन्ने पर आएगा, आएगा या नहीं. ऐसी बातों पर समय बर्बाद किया जा रहा है. वे पूछना चाहते है कि इसके लिए चुनाव लड़ा था. उन्होंने कहा कि हमारे बुजूर्गों को गाली निकालने से कुछ नहीं होगा. उनसे जितना हुआ और जैसे हुआ उन्होंने किया.


नेहरू ने चार आईटीआई बनाई तो अब 40 आईटीआई बना दो. गाली क्यों निकाल रहे है. नेहरू हमारे बुजूर्ग थे. यदि आज हम उन्हें या फिर गांधी व सावरकर को गाली देते है तो हम निकम्मे और नीच है. क्योंकि उनकी अपनी मर्यादा थी, सीमा थी, बावजूद वो इस रथ को लेकर यहां तक लेकर आए है. अब हमें इस रथ को आगे लेकर जाना है. 75 साल में देश जहां आया है. उसमें सभी का योगदान है.


राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सराहना


इतिहास की पुर्नव्याख्याता का काफ इतिहास के प्रोफेसरों का है. इसके लिए यूनिवर्सिटी में डिर्पाटमेंट बने हुए है. शोध होते है. ये काम उनका है. ये काम राजनीति या फिर सरकार का नहीं है. सरकार का काम है जो टैक्स और मत देकर आप पर विश्वास किया गया है. वो सुख-सुविधा के रूप में आखिरी आदमी तक पहुंच जाए. उन्होंने इस मौके पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सराहना की. उन्होंने कहा कि वे शुक्रगुजार है कि स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार के बारे में उन्हें सोचकर बड़े फैसले लिए.


मीडिया को भी अड़े हाथों लिया 


इस मौके पर मीडिया को भी अड़े हाथ लेते हुए उन्होंने कहा कि विडंबना है कि मीडिया एक महीने तक चीतों को दिखाता रहा. 140 करोड़ के देश में न्यूज चैनल्स में चीते ही सबसे बड़ा विषय बन गया. हद तो तब हो गई, जब एक केंद्रीय मंत्री ने चीतों ने चार बच्चों को जन्म दिया और उस मंत्री ने प्रधानमंत्री को बधाई दे दी. उन्होंने कहा कि टीवी चैनल्स पर चलने वाली डिबेट में नौ साल से बाहर पार्टी के प्रवक्ता पर चढाई कर दी जाती है तो वहीं सत्ता वाली पार्टी के प्रवक्ता से दुलार से बात होती है. यह पूरा देश जानता है. उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर अमेरिका काम कर रहा है। 100 साल बाद जो बोल रहा है. वो सब हमारी पीढियों के आगे आएगा। उस वक्त की सोचकर हमें बोलना चाहिए.


 झुंझुनूं के इस मंच पर नेताओं को जगह नहीं दी गई- कुमार विश्वास


डॉ. कुमार विश्वास ने कहा कि उनकी ओर से आजकर सभी प्रेम भरी नजर से देखते है. भाजपा सोच रही है कि यह नारियल टूटेगा और पूजा में चढेगा. तो वहीं पिछले दिनों मैंने बोल दिया था कि निष्कासित लोगों ने ही क्रांति लाई थी. बात चाहे राम की हो या फिर बुध की. तो अब उस बयान को कांग्रेस वाले लिए फिर रहे है, लेकिन मैंने यह भी कहा था कि इसके लिए ढंग से मेहनत करनी पड़ेगी. उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है झुंझुनूं के इस मंच पर नेताओं को जगह नहीं दी गई. पहले दिन नेताओं का चेहरा नहीं दिखाना चाहिए. हमारे संतों समेत अन्य विशिष्ट और प्रेरणादायी लोगों से रूबरू कराना चाहिए. ताकि बच्चों ने अच्छा कर आगे बढ़ने की ललक पैदा हो.


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राजनीति गलियारों में डॉ. कुमार विश्वास की हो रही चर्चा


क्योंकि झुंझुनूं में हुआ कार्यक्रम कोई कवि सम्मेलन नहीं था. ऐसे में राजनीति के गलियारों में डॉ. कुमार विश्वास को सीरियस भी लिया जा रहा है. उन्होंने कार्यक्रम में यहां तक भी कहा कि सच बोलने के कई फायदे है, लेकिन नुकसान इतना ही है कि रीढ़ की हड्डी मेें दर्द रहता है और पद्मश्री नहीं मिलता. साथ ही उन्होंने नेताओं से कहा कि उन्हें जिस काम से विधानसभा या लोकसभा में भेजा जाता है, उस पर ध्यान दें. वे बुजूर्ग को अपमानित कर सुर्खियों में ना बन रहे.