नगर परिषद के पार्षदों को `SDM` पसंद नहीं! कहा- साहब अपराधियों जैसा करते हैं सलूक
नगर परिषद के भाजपा तथा निर्दलीय पार्षदों ने एक बार फिर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर नगर परिषद के वर्तमान हालातों पर चिंता और जनप्रतिनिधियों का सम्मान बहाल कराने की मांग की है.
Jhunjhunu: झुंझुनूं नगर परिषद के पार्षदों ने पिछले दिनों नगर परिषद की कार्यशैली को लेकर धरना प्रदर्शन किया था. कांग्रेस और भाजपा पार्षदों ने एक साथ प्रदर्शन किया तो उसमें निर्दलीय पार्षद भी शामिल हो गए. इसके बाद स्थानीय निकाय विभाग ने आयुक्त अनिता खीचड़ का तबादला श्रीगंगानगर कर दिया लेकिन लगता है कि अभी भी पार्षद नाखुश है.
नगर परिषद के भाजपा तथा निर्दलीय पार्षदों ने एक बार फिर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर नगर परिषद के वर्तमान हालातों पर चिंता और जनप्रतिनिधियों का सम्मान बहाल कराने की मांग की है.
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दरअसल भाजपा और निर्दलीय पार्षदों को एसडीएम शैलेश खैरवा का दौर पसंद नहीं आ रहा है. पार्षद सविता प्रमोद खंडेलिया, सुमन प्रमोद जानूं, चंद्रप्रकाश शुक्ला, विजय कुमार सैनी, अनिता कमल अग्रवाल, नीलम राकेश जाखड़, निर्दलीय पार्षद संजय पारीक, मनोज सैनी, संदीप चांवरिया, अशोक प्रजापति, विनोद कुमार जांगिड़ आदि ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने कहा है कि झुंझुनूं नगर परिषद में प्रशासन शहरों के अभियान में अघोषित रोक लगा दी गई है. जब से आयुक्त अनिता खीचड़ का स्थानान्तरण किया गया है. तब से शहर में पट्टों का वितरण नहीं किया जा रहा है.
शहर के लोग पट्टों के लिए भटक रहे
राज्य सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक, हर बुधवार को एंपावर्ड कमेटी की बैठक होनी है. लेकिन विडंबना है कि पिछले करीब डेढ महीने से सिर्फ एक बार एंपावर्ड कमेटी की बैठक हुई और उसमें भी एक भी पट्टा फाइल नहीं रखी गई. बस अल्पसंख्यक गल्र्स छात्रावास की फाइल पर चर्चा की गई. शहर के लोग पट्टों के लिए भटक रहे हैं. पत्र में एसडीएम शैलेश खैरवा पर भी आरोप लगाया गया है कि वर्तमान में एसडीएम शैलेश खैरवा को आयुक्त का चार्ज दे रखा है. उनका व्यवहार पार्षदों के साथ पुलिस थाने में अपराधियों के साथ होता है. वैसा व्यवहार वे पार्षदों के साथ करते हैं. पार्षदों का या तो चैंबर में आने नहीं दिया जाता.
जनप्रतिनिधियों के सम्मान को सुनिश्चित करने की मांग की गई
यदि कोई पार्षद चला भी जाता है तो उसे एक अपराधी की तरह खड़ा रखा जाता है. बैठने तक के लिए कुर्सी तक नहीं दी जाती और 25—30 सेकेंड से ज्यादा का समय नहीं दिया जाता है, जो मुख्यमंत्री की गांधीवादा विचारधारा का अपमान है. इसलिए पार्षदों ने प्रशासन शहरों के संग अभियान को फिर से शुरू करवाने, शहरवासियों को पट्टे जारी करवाने तथा जनप्रतिनिधियों के सम्मान और गरिमा को सुनिश्चित करने की मांग की गई है. पत्र की प्रति मुख्य सचिव, शासन सचिव डीएलबी और डायरेक्टर डीएलबी को भेजी गई है.
Reporter- Sandeep Kedia
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