Jhunjhunu News: झुंझुनूं के चुड़ैला में स्थित जगदीशप्रसाद झाबरमल टीबड़ेवाला यूनि​वर्सिटी लगातार विवादों में घिरती जा रही है. ग्रेपलिंग की चैंपियनशिप को लेकर एक ओर जहां लड़ाई झगड़े के वीडियो सामने आ रहे हैं. अब इस मामले में ग्रेपलिंग कमेटी ऑफ इंडिया भी कूद गई है.


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रेसलिंग फेडरेशन से संबद्ध कमेटी के चेयरमैन दिनेश कपूर ने इस प्रतियोगिता को ही गलत और नियमों के विरुद्ध बताया है. उन्होंने मीडिया को इस मामले में कुछ लेटर उपलब्ध करवाए हैं. जिसमें उन्होंने कहा है कि अगस्त 2023 में यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार डॉ.मधु गुप्ता ने कमेटी के साथ तीन साल का एमओयू किया था.


 यह प्रतियोगिता 16 से 20 फरवरी तक आयोजित होनी थी, लेकिन विवाद बढता देख और खिलाड़ियों के विरोध के कारण यूनिवर्सिटी ने आनन फानन में 19 फरवरी की रात को ही प्रतियोगिता का समापन कर दिया.उन्होंने कहा कि 16 फरवरी को भारत बंद का आह्वान किया गया था.


इसलिए 15 फरवरी को उन्होंने ना केवल यूनिवर्सिटी, बल्कि पुलिस और प्रशासन को पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने कहा था कि आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी ग्रेपलिंग प्रतियोगिता को स्थगित किया जाए. क्योंकि किसान आंदोलन के कारण हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, यूपी, राजस्थानी समेत उत्तरी क्षेत्र में रास्ते बंद और माहौल खराब है.


 ऐसे में महिला खिलाड़ियों के सामने भी सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती है. बावजूद इसके यूनिवर्सिटी ने प्रतियोगिता स्थगित नहीं की. यही नहीं उन्होंने एक दूसरी फैडरेशन, जिसका केस अभी न्यायालय में चल रहा है. उसके द्वारा यह प्रतियोगिता आयोजित कर डाली, जो गलत है. उन्होंने यहां तक आरोप लगाया है कि यूनिवर्सिटी ने सांठ गांठ कर राजस्थान के युवाओं के नाम से हरियाणा के खिलाड़ियों को खिलाया और उन्हें नौकरी में फायदा देने के लिए गलत ढंग से मैडल भी जितवाए. जिसकी जांच होनी चाहिए.


इधर, इस मामले में यूनिवर्सिटी के खेल निदेशक डॉ.अरुण कुमार ने कुछ यूनिवर्सिटी पर अनुशासनहीनता और गलत तरीके से कोच भेजने का आरोप तो लगाया है.लेकिन कार्रवाई के नाम पर अब तक कुछ नहीं किया.


सवाल,जो जवाब मांग रहे है


ग्रेपलिंग कमेटी से एमओयू कर फैडरेशन का सहारा क्यों लिया जेजेटी यूनिवर्सिटी ने
ग्रेपलिंग कमेटी के प्रतियोगिता स्थगित को क्यों गंभीरता से नहीं लिया गया
20 फरवरी की बजाय 19 फरवरी को ही प्रतियोगिता का समापन क्यों कर दिया गया
अपने उपर लगे आरोपों पर क्यों चुप्पी साधे हुए है यूनिवर्सिटी प्रशासन
असली-नकली की लड़ाई में जेजेटी ने खिलाड़ियों का भविष्य क्यों दांव पर लगाया
ऐसी क्या जल्दी थी कि भारत बंद के बाद भी नेशनल प्रतियोगिता करवा दी


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