Jhunjhunu News: झुंझुनूं के जिला बीडीके अस्पताल में सबकुछ ठीक नहीं है. जी, हां आज कलेक्टर लक्ष्मण सिंह कुड़ी के पास एक महिला अपने परिवार व कुछ अन्य मरीजों के परिजनों के साथ पहुंची और बीडीके अस्पताल के डॉक्टरों लापरवाही को लेकर अपनी आप बीती कलेक्टर को बताई. महिला ने आरोप लगाया कि बीडीके अस्पताल के चिकित्सक बाहर की दवा लिखते है. वहीं जयपुर रेफर करने की उन्हें काफी जल्दी लगी रहती है. गरीब व्यक्ति जयपुर तक नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि ऐसा ही वाक्या उनके साथ हुआ. यही नहीं अस्पताल के एनआईसीयू में छोटे बच्चें और उनके परिजनों के सामने ही चिकित्सक झगड़ा करते है. जिनके नाम सहित कलेक्टर को शिकायत कर माहौल को सुधारने और अस्पताल की व्यवस्था को सही कराने की मांग की गई है. बता दें कि बीडीके अस्पताल में बाहर से दवा मंगाने की जैसे होड़ मची हुई है. यहां अधिकतर दवाएं बाहर से मंगाई जाती है.  इस कारण एक ओर जहां गरीब मरीजों की जेब कट रही, वहीं मुफ्त इलाज का दावा बेमानी साबित हो रहा है.


बीडीके अस्पताल में डाक्टरों की गंभीर लापरवाही


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अंचल के सबसे बड़े बीडीके अस्पताल में डाक्टरों की गंभीर लापरवाही कई बार सामने आ चुकी है. यहां इलाज कराने आने वाले मरीजों को डॉक्टर का घंटों इंतजार करना पड़ रहा है. इसका कारण है कि ओपीडी में समय से डॉक्टर नहीं आ रहे है. जबकि अलग- अलग विभाग के लिए डॉक्टरों की तैनाती की गई है. अस्पताल में दवा उपलब्धता का आलम यह है कि स्लाइन सेट भी मरीजों को बाहर से खरीदना पड़ रहा है. यहां तक कि ग्लब्स भी नहीं है. गैस भी कोई टैबलेट है न कोई इंजेक्शन. बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं में कायाकल्प व नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस में अव्वल रहने का दम भरने वाले राजकीय बीडीके अस्पताल प्रशासन की इस गंभीर लापरवाही का आप स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं कि गहन चिकित्सा इकाई (आइसीयू) में गंभीर रोगियों को जीवन देने वाले किसी भी उपकरण का खराब होना रोगियों की जान को खतरे में डालने के बराबर है.


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दिए गए ज्ञापन में बताया कि एनआईसीयू में डॉक्टर का व्यवहार सही नहीं है. जिसके चलते मरीजों के परिजन को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं विरोध करने वाले परिजनों के मरीजों को रेफर किया जा रहा है. जिसके कारण आमजन को परेशानी हो रही है. वहीं राज्य सरकार द्वारा निशुल्क दवा योजना की भी धज्जियां उड़ाई जा रही है. अस्पताल में मरीजों को बाहर की दवाएं लिखी जा रही है. जिसके कारण मरीजों के परिजन बाहर से महंगी दवा खरीदने को मजबूर हैं. मरीजों के परिजनों ने जिला कलेक्टर से उचित कार्रवाई करने की मांग की.