Jhunjhunu News:आपने देशभर के मंदिरों में और तस्वीरों में भगवान श्रीराम व लक्ष्मण को हमेशा बिना दाढ़ी-मूछों में ही देखा होगा लेकिन आज हम आपको देश के एकमात्र ऐसे मंदिर में विराजमान भगवान श्रीराम के दर्शन करवाएंगे. जिनमें भगवान राम और लक्ष्मण की प्रतिमाओं के मूंछें हैं. 


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जी हां, देश का अनूठा और एकमात्र मंदिर खेतड़ी में हैं. मंदिर का नाम भी मूंछों वाले श्रीराम-लक्ष्मण का बड़ा मंदिर है. खेतड़ी कस्बे के मुख्य बाजार में स्थित इस मंदिर का निर्माण 200 साल पहले तत्कालीन राजा बख्तावर सिंह ने पत्नी रानी चूड़ावत के कहने पर करवाया था.


खेतड़ी रियासत के पांचवें राजा बख्तावर सिंह ने 1826 से 1829 तक राज किया. उनकी तीसरी पत्नी रानी चूड़ावत भगवान श्रीराम की आराध्य भक्त थी. रानी के कहने पर ही राजा बख्तावर सिंह ने खेतड़ी के प्रसिद्ध तालाब के पास एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया. जिसे की खेतड़ी में बड़े मंदिर के नाम से, चूड़ावत रानी के नाम से जाना जाता है. 



राजा बख्तावरसिंह की पत्नी रानी चूड़ावत भगवान राम की परम भक्त थीं. राजा मूंछें रखते थे. रानी के कहने पर राजा ने मंदिर का निर्माण कराया था. रानी ने कहा था कि मेरे पहले भगवान तो आप ही हैं. फिर श्रीराम हैं.इसलिए भगवान श्रीराम के भी आपकी ही तरह मूंछें होनी चाहिए.इसलिए राजा ने पत्नी की इच्छा के अनुसार मूंछों वाले राम लक्ष्मण की मूर्तियां स्थापित करवाई. साथ में सीता माता की प्रतिमा भी लगवाई.


वर्तमान समय में यह मंदिर देवस्थान विभाग के संरक्षण में है. इसके अलावा भी कस्बे में कई मंदिर है. जो देवस्थान विभाग के अंडर में आते हैं. विभाग द्वारा मंदिरों का रखरखाव पूजा पाठ धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं. लेकिन रामनवमी के पर्व पर राजस्थान के श्रीराम-लक्ष्मण के मूंछों वाला इस खास मंदिर में कोई विशेष कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाता. 


जबकि मात्र 10 कदम की दूरी पर श्रीराम का एक और मंदिर जिसको रामायण सत्संग मंदिर के नाम से जाना जाता है. रामनवमी पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन मंदिर की संस्था द्वारा किया जाता है. जिसमें पूजा-पाठ, झांकी, सवारी तथा प्रसाद वितरण किया जाता है.



खेतड़ी एक बहुत बड़ी रियासत थी.उस समय खेतड़ी के राजाओं ने अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया था.सैंकड़ों मंदिर होने के कारण खेतड़ी को मिनी काशी के रूप में भी जाना जाता है. खेतड़ी में रजवाड़े के समय से ही 108 मंदिरों वाले मिनी काशी के रूप में भी जाना जाता है. स्वामी विवेकानंद भी राजा अजीत सिंह के निमंत्रण पर कई बार इस मंदिर में श्रीराम के मूंछों वाले स्वरूप के दर्शन कर चुके हैं. ग्रामीण भी रोज इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं.


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