Khetri: झुंझुनूं के खेतड़ी में स्थित गोपीनाथजी राणावत जी का मंदिर करीब 200 साल पहले 1826 से लेकर 1829 के बीच में यह मंदिर खेतड़ी के पांचवें राजा बख्तावरसिंह द्वारा बनाया गया था. उनकी रानी राणावत कृष्ण की बड़ी भक्त थी. उन्होंने राजा के सामने गोपीनाथजी का मंदिर बनाने की इच्छा जाहिर की तो राजा बख्तावरसिंह ने उड़ीसा से पाषाण पत्थरों से बनी मूर्तियों की स्थापना करवाई.  


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वहीं, न केवल मंदिर बनाया, बल्कि पूरे मंदिर को महल का सा रूप दिया गया. इस मंदिर में न केवल भगवान की मूर्तियां, बल्कि घुड़साल, भजन कीर्तन करने के लिए बड़ा हॉल, कुआं, बाग और एक बड़ा तहखाना भी है. हालांकि तहखाने को फिलहाल देवस्थान विभाग ने बंद कर दिया है, लेकिन इसका भव्यता आज भी हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर की एक विशेषता और है कि जयपुर स्थित प्रख्यात गोविंद देव जी मंदिर का प्रतिरूप है. 


इस मंदिर में गोविंद देव जी के मंदिर में स्थापित भगवान श्री कृष्ण और राधा की काले पाषाण पत्थर की जो मूर्ति है, उसी का प्रतिरूप खेतड़ी के राणावत जी मंदिर में स्थित श्री कृष्ण और राधा की मूर्तियां भी एक जैसी है और मंदिर के स्थापत्य कला एवं डिजाइन भी करीब-करीब एक जैसी है. इस मंदिर में लगी श्री कृष्ण भगवान की मूर्ति की आंखें मनमोहक आकर्षक होने से भक्तों को वशीभूत कर लेती है. 


यह मंदिर खेतड़ी ही नहीं बल्कि राजस्थान में एक विशिष्ट स्थान रखता है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसकी मूर्तियां दुर्लभ और चमत्कारी बताई जाती है.  इस मंदिर का निर्माण राजा बख्तावर सिंह ने रानी राणाव जी जो कि सलूंबर के राजा रावत सरदार सिंह की पुत्री के कहने पर इस मंदिर रूपी महल का निर्माण करवाया था. रियासतों के विलय के बाद यह मंदिर भी देव स्थान विभाग के द्वारा संचालित है. 


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श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन यहां पर विभिन्न कार्यक्रम करवाए जाते हैं. यह मंदिर महलनूमा वह आकर्षक होने से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी रहता है. रास्ते से निकलने वाले भी अपने मोबाइल से फोटो खिचने से नहीं रोक पाते हैं. 


Reporter- Sandeep Kedia 


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