पंचतत्व में विलिन हुए शहीद नरेश कुमार, बगड़ कस्बे में नम आंखों से दी गई अंतिम विदाई
बगड़ में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. लोगों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई. शहीद हवलदार नरेश कुमार की पार्थिव देह अल सुबह झुंझुनूं पहुंची थीं. इसके बाद उनकी पार्थिव देह तिरंगा रैली के साथ उनके पैतृक गांव बगड़ के लिए रवाना हुई.
झुंझुनूं: बगड़ में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. लोगों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई. शहीद हवलदार नरेश कुमार की पार्थिव देह अल सुबह झुंझुनूं पहुंची थीं. इसके बाद उनकी पार्थिव देह तिरंगा रैली के साथ उनके पैतृक गांव बगड़ के लिए रवाना हुई. झुंझुनूं से बगड़ तक निकाली गई इस 15 किलोमीटर लम्बी तिरंगा के दौरान रास्ते में जगह-जगह लोगों ने शहीद को नमन श्रद्धांजलि दी. आज सुबह से ही इलाके में रुक-रुक कर बारिश हो रही है, फिर भी लोग शहीद के अंतिम दर्शन के लिए सड़कों पर डटे रहे.
हर कोई झुंझुनूं के लाल की शहादत पर गर्व महसूस कर रहा था. शहीद नरेश कुमार की पार्थिव देह बगड़ कस्बे के मुख्य मार्गों से होते हुए उनकी तिरंगा यात्रा उनके पैतृक आवास पहुंची जैसे ही उनकी पार्थिव देह घर पहुंची तो घर में कोहराम मच गया शहीद की पत्नी और बेटी का रो-रो कर बुरा हाल हो गया. उधर शहीद को अंतिम नमन करने के लिए बड़ी संख्या में आसपास के गांव के लोग और जनप्रतिनिधि पहुंचे परिवारिक रस्मों रिवाजों के बाद उनकी पार्थिव देह को बगड़ रोड स्थित अंत्येष्टि स्थल ले जाया गया.
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सांसद समेत अन्य अधिकारियों ने दी श्रद्धांजलि
जहां पर सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ,सांसद नरेन्द्र कुमार ,एडीएम जयप्रकाश गौड़ डिप्टी ग्रामीण रोहिताश देवेंदा , बगड़ थानाधिकारी श्रवण कुमार बगड़ नगरपालिका अध्यक्ष गोविंद सिंह ने पुष्प चक्र अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. इसके बाद जाट रेजीमेंट की बटालियन द्वारा उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया शहीद हवलदार नरेश कुमार की चिता को उनके 7 वर्षीय बेटे नमन ने मुखाग्नि दी आपको बता दे की जम्मू-कश्मीर में ड्यूटी के दौरान नरेश कुमार शहीद हो गए थे.
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तीन भाई में बीच वाले थे नरेश कुमार
हवलदार नरेश कुमार आर्मी की 7 पैरा एसएफ यूनिट में कुपवाड़ा स्थित चौकीबल में पोस्टेड थे. गुरुवार को वे गश्त के दौरान बेहोश हो गए. उन्हें मिलिट्री हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. नरेश कुमार झुंझुनूं जिले के बगड़ कस्बे के रहने वाले थे. नरेश कुमार तीन भाइयों में मंझले थे. उनके बड़े भाई सुरेश सिंह व छोटे भाई मुकेश सिंह हैं. नरेश के बेटी व बेटा आगरा में ही क्लास 5 व 3 के स्टूडेंट हैं. शहीद नरेश कुमार का ताल्लुक हरियाणा के भिवानी जिले के सांगवान गांव से है. वहां से आकर उन्होंने 10 साल पहले झुंझुनूं के बगड़ में जमीन ली थी और वहीं बाइपास इलाके में मकान बना लिया था. पहले नरेश की पोस्टिंग आगरा थी. इसलिए परिवार उनके साथ आगरा ही रहता था.
Reporter- Sandeep Kedia