Jhunjhunu News: इसी साल फरवरी माह में झुंझुनूं के पिलानी स्थित बिट्स की महिला प्रोफेसर श्रीजाता डे के साथ हुई 7.67 करोड़ की साइबर ठगी का मामला, सिर्फ साइबर ठगी का नहीं था. बल्कि डिजिटल अरेस्ट का भी था.


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हाल ही में डिजिटल अरेस्ट के मामले में मध्यप्रदेश और एनसीआर के एरिया में काफी सामने आए है. जहां पर साइबर ठग लोगों को ईडी, सीबीआई, पुलिस, इनकम टैक्स आदि जांच एजेंसियों का डर दिखाकर वीडियो कॉल के जरिए घर में ही बंधक बना लेते है और उनकी हर आवाजाही की रिपोर्ट लेकर उनसे पैसे ठग रहे है.


ऐसा ही वाक्या बिट्स पिलानी की श्रीजाता डे के साथ हुआ था. उन्हें तीन महीने तक डिजिटल अरेस्ट बनाकर ठगों ने 7.67 करोड़ रूपए ठग लिए थे. तीन महीने तक ईडी, ट्राई, महाराष्ट्र पुलिस आदि का डर दिखाकर ना केवल उनकी हर गतिविधि पर नजर रखी गई. बल्कि हर दो घंटे में उनकी गतिविधियों और हर दिन उनकी सेल्फ रिपोर्ट तक साइबर ठगों ने मंगवाई, जो एक तरह से डिजिटल अरेस्ट था.


प्रोफेसर श्रीजाता डे ने ना केवल अपनी सभी सेविंग्स, बल्कि 80 लाख रूपए बैंक से लोन लेकर भी साइबर ठगों को दे दिए थे. फरवरी में जब मामला खुला और साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई. उसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की लेकिन ठगी गई रकम बड़ी थी और साइबर ठग भी काफी हाईटेक थे. ऐसे में इस प्रकरण को पुलिस मुख्यालय के लिए भेज दिया गया था. पुलिस मुख्यालय की मुख्य साइबर सैल ने जब इस प्रकरण की जांच शुरू की तो करीब 200 से अधिक बैंक खातों को खंगाला तो और भी चौंकाने वाला सच सामने आया कि जो पैसे श्रीजाता डे से ठगे गए थे.


वो विदेशी बैंकों के खातों में भी डलवाए गए है. जिससे पुलिस को शक है कि इस तरह के डिजिटल अरेस्ट प्रकरणों में इंटरनेशल गैंग का हाथ है. अब पुलिस इस मामले को सीबीआई को सौंपने की तैयारी में है. जयपुर में डीजीपी यूआर साहू ने बताया ​है कि ठगी की रकम बहुत ज्यादा है. अनुसंधान में सामने आया कि पैसा विदेश तक गया है ऐसी स्थिति में सीबीआई जांच जरूरी समझी गई है.


इधर, एसपी राजर्षि राज वर्मा ने बताया कि उन्होंने इस फाइल को पुलिस मुख्यालय भेज दिया था. पुलिस मुख्यालय की मुख्य साइबर सैल इसकी जांच कर रही थी। आगे पुलिस मुख्यालय को ही इस फाइल को लेकर फैसला लेना है.


बहरहाल, ना केवल पिलानी या फिर झुंझुनूं, बल्कि राजस्थान का यह पहला डिजिटल अरेस्ट का मामला है. हालांकि आपको यहां यह भी बता दें कि कानूनी भाषा में डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई शब्द नहीं है, लेकिन यह ठगी का नया तरीका है. जिसमें साइबर ठग वीडियो कांफ्रेंसिंग और मोबाइल एप के जरिए पीड़ित को बंधक बना लेते है. उसकी हर गतिविधि पर नजर रखते है और रूपए ठगते है.