Jodhpur News: जोधपुर से अयोध्या के लिए भारत की पहली आस्था स्पेशल ट्रेन रविवार दोपहर को भगत की कोठी रेलवे स्टेशन से रवाना हुई. ये ट्रेन 1446 यात्रियों को लेकर कल अयोध्या  पहुंचेगी. इसको लेकर रविवार को जोधपुर के भगत की कोठी रेलवे स्टेशन पर मिले .  वहां अयोध्या के लिए जाने वाले राम भक्तों का तिलक और भगवा दुपट्टा पहना कर स्वागत किया गया.


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ये रहा रूट
जोधपुर से अयोध्या तक जाने वाली ट्रेन जोधपुर से मेड़ता रोड डेगाना खाटू होते हुए अयोध्या तक पहुंचेगी.  रास्ते में कुल 20 स्टेशन आएंगे. 16 स्लीपर 6 एसी कोच और दो एसएलआर कोच है जो 1250 किलोमीटर की यात्रा तय कर 26 घंटे 15 मिनट में सोमवार दोपहर 2:30 पर अयोध्या धाम पहुंचेगी. ट्रेन में सुरक्षा के लिए आरपीएफ के जवान महिला कांस्टेबल, सुरक्षा कर्मी भी सवार हैं.


आस्था स्पेशल ट्रेन में जोधपुर के अलावा फलोदी, जैसलमेर और बाड़मेर से भी राम भक्त सवार होकर अयोध्या के लिए गए हैं. सुबह 9:00 बजे से ही रामभक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था. यहां पर उन्हें रेल प्रशासन व हिंदू संगठनों के प्रतिनिधियों ने यात्रा के नियमों के बारे में बताया. सभी को उनके कोच नंबर और टिकट नंबर देकर सीट पर बिठाया गया. ट्रेन में कई कार सेवक और उनके परिवार भी शामिल हुए.


भगत की कोठी से रवाना हुई पहली ट्रेन


रेलवे डीआरएम पंकज कुमार सिंह ने बताया,  इस आस्था स्पेशल ट्रेन को आईआरसीटीसी के माध्यम से बुक करवाया गया था. जिसमें यह पहली ट्रेन आज भगत की कोठी से रवाना हुई. गहन जांच करके ट्रेन को रवाना किया गया. यात्रियों को कोई असुविधा नहीं हो इसको लेकर खास व्यवस्था की गई है. जोधपुर से रेल मंडल के अन्य स्टेशनों पर ट्रेन रुकेंगी. बुकिंग आधार कार्ड के माध्यम से की गई थी. रेल विभाग जोधपुर मंडल की ओर से पूरी तैयारी की गई थी. ट्रेन की रवाना होने से पहले धुलाई, मरम्मत आदि की गई.


आरपीएफ के अनुराग मीना ने बताया की,  ट्रेन जहां-जहां रुकेगी वहां पर सीआऱपीएफ के जवान स्टेशन पर तैनात रहेंगे.  हर ट्रेन में 6 जवानों पर एक अधिकारी तैनात किया गया है. जिससे सुरक्षा व्यवस्था में कोई बाधा उत्पन्न नहीं हो. महिला कांस्टेबल को भी शामिल किया गया है.


कार सेवक की खुशी


ट्रेन में दर्शन के लिए जा रहे बाड़मेर के कार सेवक बाबूलाल ने बताया कि, जिस समय 1990 की कार सेवा में वह अयोध्या के लिए गए थे, उस समय मुलायम सिंह की सरकार ने उन पर लाठियां बरसाई थी. हमारे साथ अत्याचार किया गया था. मैं अपने 20 दिन की बच्ची को ससुराल में छोड़कर कार सेवा के लिए गया था. वहां का दृश्य बहुत ही भयावह था और हमें ऐसा लग रहा था मंदिर नहीं बनेगा, लेकिन हमारे जिंदा रहते हमारी आंखों के सामने प्रभु श्री राम का मंदिर बनकर तैयार हो चुका है और अब दर्शन के लिए जा रहे हैं तो मन में बहुत उत्साह है जिसे हम शब्दों में बयां नहीं कर पा रहे हैं. ये जीवन का सबसे स्वर्णिम पल है.


कारसेवाकों ने उस दिन के दर्द को किया बयान


कारसेवा में शामिल एक कार सेवक ने बताया हमें इटावा में रोक दिया गया था. हमारे साथ एक स्वयंसेवक थे जिसे पुलिस वालों ने पूछा था बाबा जी कहां जा रहे हो तो उन्होंने कहा जहां राम की मर्जी होगी वहां जाएंगे. इस पर पुलिस वालों ने उन्हें यह कहकर ट्रेन से उतार दिया कि राम की मर्जी यही है कि आप अयोध्या मत जाओ यहीं रुक जाओ, लेकिन आज इस बात को लेकर खुशी है कि हम अयोध्या दर्शन के लिए जा रहे हैं. जो प्रभु श्री राम की मर्जी से ही मंदिर बनकर तैयार हुआ है. इस दौरान वो भावुक भी हो गए. उन्होंने कहा 1992 में जब ढांचा गिराया गया था तब भी हम कारसेवा में शामिल थे. उस समय घर वालों ने यही कहा था कि वापस लौट कर आओ तो कुछ प्रसाद जरूर लेकर आना, हमने घर वालों के संकेत समझा और वहां से ढांचे के अवशेष अपने साथ लेकर आए, आज इस बात की खुशी है कि रामलला ने हमें बुलाया है.


ट्रेन के एसी कोच में सवार जैसलमेर से आए कर सेवक ओमप्रकाश ने बताया कि उस समय जब अयोध्या पहुंचे थे लेकिन कारसेवा में जाने के लिए कई समस्याएं सामने आई, लेकिन जब हमने कारसेवा की उस समय कुछ पल के लिए बारिश हुई तो लगा प्रभु की कृपा हुई है. आज इस बात के लिए खुशी है की प्रभु श्री राम ने हमें वापस बुलाया है. ये बहुत खुशी की बात है.