Soorsagar: जी राजस्थान की खबर पर मुहर लगी है और खबर का बड़ा असर भी सामने आया है. एसीपी वेस्ट चक्रवती सिंह को मामले की जांच सौंपी गई थी, हालांकि घटना के बाद यह भरसक प्रयास किया गया कि शव को कचरा गाड़ी में रखा कोई फोटो और वीडियो लीक ना हो पाए लेकिन सच कभी छुपा है भला? आखिर वह वीडियो सामने आ ही गया, जिसमें साफ दिख रहा है कि एक कचरे की गाड़ी में पार्थिव शरीर रखकर पुलिस अस्पताल लेकर पहुंची. सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दे रहा है कि मथुरा दास माथुर अस्पताल के मोर्चे के बाहर पुलिसकर्मी लोगों को टैक्सी से दूर भगा रहा है शायद उसे डर था कि कोई फोटो या वीडियो ना बना ले.


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गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह नगर में वह तमाम सुविधाएं हैं जिसमें किसी घायल को अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस है तो वहीं शव परिवहन करने के लिए भी गाड़ियां मौजूद है लेकिन पुलिस के कर्मचारी ने इतनी मशक्कत नहीं उठाई कि किसी को फोन लगाए गाड़ी मंगवाए. एसीपी ऑफिस के बाहर हुई दुर्घटना के बाद पुलिस को बस इतनी फिक्र थी कि शव को जितना जल्दी हो सके एसीपी कार्यालय से बाहर से उठाना है. ऐसे में एक कचरा गाड़ी के अंदर शव रखवा कर अस्पताल भेजा गया.


जोधपुर पुलिस ने इस घटना को अंजाम देकर ना केवल मानवता को शर्मसार किया है बल्कि एक भारतीय इतिहास की दुर्गति करके रख दी. वहीं जी मीडिया पर खबर दिखाने के बाद राज्य मानवाधिकार आयोग अध्यक्ष माननीय गोपाल कृष्ण व्यास ने जोधपुर जिला कलेक्टर और पुलिस कमिश्नर से इस पूरे मामले की रिपोर्ट 15 दिन में मांगी है.


Report: Arun Harsh


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