जोधपुर की काज़री में लाल खजूर की बंपर पैदावार, 8 हजार किलो पैदावार की उम्मीद
जोधपुर केंद्रीय शुष्क अनुसंधान संस्थान काजरी में इस बार खजूर की बंपर पैदावार होगी. टीशू कल्चर तकनीक से तैयार खजूर के पौधे इस बार लाल खजूर से लदे हुए है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि करीब 150 पौधों पर करीब 8000 किली फल मिलने की उम्मीद है. काजरी के खजूर की बाजार में भी काफी मांग भी है. ऐसे में इससे अच्छी आमदनी भी होगी.
Jodhpur : जोधपुर केंद्रीय शुष्क अनुसंधान संस्थान काजरी में इस बार खजूर की बंपर पैदावार होगी. टीशू कल्चर तकनीक से तैयार खजूर के पौधे इस बार लाल खजूर से लदे हुए है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि करीब 150 पौधों पर करीब 8000 किली फल मिलने की उम्मीद है. काजरी के खजूर की बाजार में भी काफी मांग भी है. ऐसे में इससे अच्छी आमदनी भी होगी.
खजूर का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है , खजूर का मेवे के रूप में भी उपयोग किया जाता है , वहीं जोधपुर में खजूर का पूरा बागीचा बना हुआ है जो लाल फलों से लदा हुआ है. केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान काजरी में एक हैक्टर में उत्तक संवर्द्धन टिश्यू कल्चर तकनीक से तैयार खजूर के लगभग 150 पौधे लगे हुए हैं, वही खजूर की एडीपी-1 प्रजाति के पौधे सात साल पहले आनन्द कृषि विश्वविद्यालय गुजरात से लाकर लगाए गए थे. आज खजूरों का यह बगीचा लाल फलों से लदा हुआ नजर आ रह है.
काजरी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ अख्तसिंह ने बताया कि काजरी फार्म पर यह पौधे सितम्बर 2014 में लगाए गए थे. लगभग ढाई साल बाद इनमें खजूर फल देना शुरू कर देते है. साथ ही उचित रखरखाव, सिंचाई और उर्वरकों का प्रयोग करके खजूर में पौधों से 50 साल तक भरपूर उपज ली जा सकती है. पिछले साल लगभग 6000 किलो खजूर का उत्पादन हुआ था. जबकि इस बार उपज बढकर लगभग 8000 किलो तक पहुंचने की सम्भावना है. इसका लाभ भरपुर मात्रा में मिल रहा है. शुष्क क्षेत्र में अच्छे फल उत्पादन के लिए एडीपी-1 प्रजाति सफल साबित हुई है. प्रत्येक पौधे पर लगभग 90 से 100 किलो तक खजूर लगी हुई है. काजरी निदेशक डॉ ओपी यादव ने बताया कि पश्चिमी राजस्थान में खजूर की खेती लोकप्रिय साबित हो रही है. यह किस्म जल्दी पकने वाली किस्म है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह बरसात आने से पूर्व पक जाती है. इसकी पैदावार भरपूर मात्रा में ले सकते है. कलर अच्छा है तल गुणवत्ता और मिठास भी बहुत है, यदि मार्केट में कीमत भी अच्छी मिल रही है, मानव स्वास्थ्य के लिये ऊर्जा का अच्छा स्त्रोत है.
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काजरी निदेशक डॉ ओपी यादव का कहना है कि राजस्थान के शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्र की जलवायु खजूर की खेती के लिए उत्तम है , ताजा खजूर खाने के फायदे तो हम सभी जानते हैं. इसके सेवन से शरीर को उर्जा मिलती है. साथ ही अन्य बीमारियों से भी मुक्ति मिलती है, वही खजूर खाने से रक्त बढ़ता है.
ताजे खजूर का सेवन स्वस्थ गर्भावस्था को बढ़ावा देता है, हृदय को स्वस्थ रखता है. साथ ही तांत्रिक तंत्र को भी ठीक रखता है. खजूर के फल पौष्टिक गुणों से भरपूर होते हैं, इसमें प्रचुर मात्रा में कार्बोहाटड्रेट होता है और उर्जा के लिए यह तैयार आहार पोषण है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी है. ताजे फलों को खाने के अलावा विभिन्न प्रसंस्कृत उत्पाद जैसे कि छुहारा, कैण्डी भी बनायी जा सकती है, जिसकी मांग हमेशा रहती है.
काजरी निर्देशक डॉ ओपी यादव का कहना है कि खजूर पर नेटवर्क प्रोजेक्ट बीकानेर, जोधपुर और आनन्द में चल रहा है , जिसका परिणाम भी उत्साहजनक हैं. किसानों के लिए इसकी बागवानी अच्छी है. आमदनी भी कई गुना हो जाती है. खजूर फल की भारत में खपत ज्यादा होने से आयात होता है. देश में इसका एरिया और उत्पादन बढ़ता है तो आयात की आवश्यकता नहीं रहती है.
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