खेजड़ी कटाई का मामला, आक्रोशित राजपूत समाज ने एसडीएम डॉ. अर्चना व्यास को सौंपा ज्ञापन
खेजड़ी कटाई मामले में बाप उपखंड क्षेत्र के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को हटाए जाने की कार्रवाई किए जाने के विरोध में राजपूत समाज के लोगों ने बड़ी संख्या में फलोदी एडीएम को ज्ञापन सौंपा.
Phalodi: बाप के बड़ी सीड गांव में खेजड़ी वृक्षों की कटाई के विरोध बाप पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने से आक्रोशित राजपूत समाज के प्रबुद्ध जनों और युवाओं ने बड़ी संख्या में फलोदी पहुंच कर एडीएम कार्यालय में एसडीएम डॉ. अर्चना व्यास को ज्ञापन सौंपा.
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राज्य वृक्ष खेजड़ी कटाई मामले में बाप उपखंड क्षेत्र के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को हटाए जाने की कार्रवाई किए जाने के विरोध में राजपूत समाज के लोगों ने बड़ी संख्या में फलोदी एडीएम को ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में बताया गया कि ग्राम बडी सिड में खेजडी वृक्ष की कटाई को लेकर राजपुत अधिकारीयों पर एक तरफा कार्यवाही कर हटाने की कार्यवाही की जा रही है.
इस विषय में राजुपत समाज की आपात बैठक हुई जिसमें राजुपत अधिकारियो पर की गई. कार्यवाही के खिलाफ निदा प्रस्ताव पारित किया गया. साथ ही इस बात को लेकर राजपुत समाज में भारी आकोश है. राजपूत समाज का आरोप है कि खेजडी प्रकरण को लेकर बाहरी लोगों द्वारा राजपुत समाज के अधिकारियों पर जिस प्रकार की टिप्पणियां की गई वहीं निंदनीय है.
ज्ञापन में बताया गया कि आजादी के 70 साल बाद भी लोग संविधान और कानून पर विश्वास नही कर रहे है, यह बडा चिंता का विषय है, जिस तरह से बाहरी लोग आकर बाप क्षैत्र का माहौल खराब कर रहे है, उससे बाप उपखंड क्षेत्र की जनता में आक्रोश है. घटना दो गुटो की कंपनियों में ठेको को लेकर है, जो कि प्रशासन सहित सर्व विदित है, लेकिन इसके पीछे जिन लोगो का हाथ है उन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई. बाहरी लोग जो अधिकतर किसी ना किसी रूप में सौलर कंपनियों में ठेकेदारी का काम करते आ रहे हैं. उनके द्वारा प्रशासन पर दवाब बनाया गया. यह लोग जातीय द्वेशभावना के कारण राजपुत अधिकारीयों पर कार्यवाही के लिए प्रशासन पर दवाब बना कर कार्यवाही चाहते हैं जो कि उचित नहीं है.
खेजड़ी कटाई की घटना में इन अधिकारीयों का नाम बिना किसी वजह से लिया जा रहा है. क्या एक अधिकारी का जाति विशेष में जन्म लेना गुनाह है. अगर है तो जाति विशेष में जन्म लेकर राष्ट्र की सेवा करना भी गुनाह है, तो फिर प्रशासनिक सेवाए देना भी गुनाह हो सकता है. वन्यजीव और पर्यावरण प्रेमियों की वन संरक्षण के लिए अगर राज्य सरकार में निहित कानून के तहत कार्यवाही होती है तो उसका राजपुत समाज विरोधी नहीं है.
राजपुत समाज पर्यावरण और वन्यजीवों का संरक्षक रहा है. ज्ञापन में राजपूत समाज ने बताया गया कि जहां तक हमारा मानना है क्षत्रिय जाति से बडा प्रकृति का संरक्षक पुरे विश्व में आज तक कोई नहीं हुआ. वो हमारे ही पूर्वज थे जिन्होंने गायों और धरती के लिए अपने सिर कटवाए. वो हमारे ही पूर्वज थे जिन्होंने इस लोकतंत्र को लाने के लिए अपनी पूरी की पूरी रियासतें ही दान कर दी.
वो हमारे ही पूर्वज थे जिन्होंने समरी सेंटलमेंट और मिसल बंदोबस्ती के समय अपनी खातेदारी भूमि में से प्रत्येक गांव में हजारों बीघा जमीन ओरण गौचर और जोड़ पायतन के रूप दान कर दी गई. इस दौरान राजपूत समाज के प्रबुद्ध जन मगसिंह भाटी, पहाड सिंह, प्रविण सिंह, बाप प्रधान, पूर्व शेखासर सरपंच नरपत सिंह, सांवलसिह बारू, दिलेर सिंह भाटी, भुपत सिंह अवाय सहित राजपूत समाज के कई लोग उपस्थित रहें.
Reporter: Arun Harsh