कोरोना महामारी बीमारी का असर, पशु मेले में नहीं आये पशु, मेला स्थल पड़ा सुनसान
वर्षों से चला आ रहा कापरड़ा का प्रसिद्ध पशु मेला कोराना की लहर के चलते कागजों में सिमट कर रह गया है.
Bilara: वर्षों से चला आ रहा कापरड़ा का प्रसिद्ध पशु मेला कोराना की लहर के चलते कागजों में सिमट कर रह गया है. सन 1982 से लगातार आयोजित होने वाले इस पशु मेले में प्रतिवर्ष सैकड़ों की तादात में पशु बिकने आते थे और पंजाब, राजस्थान ,गुजरात ,मध्य प्रदेश ,उत्तर प्रदेश प्रांतों से बड़ी संख्या में व्यापारी इन पशुओं को खरीदने के लिए आते थे और महीने भर तक मेले की धूम मची रहती थी, लेकिन धीरे-धीरे अपेक्षा के चलते पशुओं की संख्या घटने लगी तो व्यापारियों का आना जाना कम हो गया.
गत 3 वर्षों में लगने वाले पशु मेले में कोरोना वायरस के कारण व्यापारी और पशु नहीं आ रहे हैं. हालात ऐसे हो गए कि वर्ष 2022 को लगने वाले सात दिवसीय पशु मेले में बिकने के लिए एक भी पशु नहीं आया और उनको खरीदने के लिए एक भी व्यापारी भी नहीं आया. मेला स्थल पर पानी, रोशनी ,चारा, निशुल्क पशु चिकित्सा ,सांस्कृतिक प्रदर्शनी की व्यवस्था भी नहीं है, लेकिन पशुओं के नहीं आने से खरीदने वालों को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा. पशु मेले में लगी कुछ दुकानों में बच्चों के खिलौने, गमले, मिर्ची बड़ा, कचोरी, मिठाई, झूले , घरेलू सामान बेचते नजर आ रहे हैं. दुकानदार भी व्यापारियों के नहीं आने से ग्रह की का इंतजार करते ही नजर आए.
मेले का ना उद्घाटन हुआ ना समापन समारोह होगा
जानकारी के अनुसार का कापरड़ा पशु मेला में हर वर्ष मेले के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि द्वारा पशु मेला स्थल पर ध्वजारोहण कर मेले का शुभारंभ किया जाता था और समापन समारोह में ध्वज को उतारा जाता था, लेकिन इस बार ना तो मेले का उद्घाटन समारोह हुआ और ना ही समापन समारोह होगा. कला, संस्कृति ,पशुपालन और पर्यटन की दृष्टि से यह मेले अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं. देश-विदेश के हजारों लाखों पर्यटक इस के माध्यम से लोक कला एवं ग्रामीण संस्कृति से रूबरू होते हैं, लेकिन 3 वर्षों में पशुओं की उपयोगिता कम होती नजर आ रही है.
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