Jodhpur: जोधपुर में ओसियां पंचायत समिति के कृषक उत्पादक संगठन श्री सच्चियाय फार्मर प्रोड्यूसर द्वारा क्षेत्र में बीज मेलों का आयोजन किया जा रहा है. किसान संगोष्ठी में कृषि विश्वविद्यालय विशेषज्ञों ने रबी सीजन की फसलों की बुवाई के बारे जानकारी दी साथ ही रायड़ा में ओरोबांकी के निधान हेतु फसल चक्र अपनाने की सलाह दी. इस दौरान धुंधाड़िया में आयोजित बीज मेला व किसान संगोष्ठी में कृषि विश्वविद्यालय के डॉ. हरिदयाल चौधरी ने किसानों को रबी सीजन की फसलों की बुवाई की जानकारी दी. डॉ हरिदयाल ने जीरा, इसबगोल, सरसों, चना की फसलों हेतु बीज चयन, बीज उपचार, मिट्टी उपचार, खाद का प्रयोग व फसलों के विभिन्न रोग व कीटों से बचाव के हेतु रखने वाली सावधानियां व उपायों की जानकारी दी.


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डॉ हरिदयाल ने बताया कि जीरे को उखटा रोग से बचाने हेतु बुवाई पूर्व से प्रति हैक्टेयर 2.5 किलो ट्राइकोडरमा को कंपोस्ट में मिला कर नमी युक्त भूमि में मिलाने तथा 2.5 ग्राम ट्राइकोडरमा प्रति किलों बीज की दर से बीज उपचार करने की सलाह दी. इस दौरान समन्वित फसल प्रबंधन की जानकारी देकर फसल के विभिन्न चरणों में रोग व कीटों से बचाव हेतु उपचार के लिए प्रयोग की जाने वाले कीट व रोग नाशको की जानकारी दी गई.


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रायड़ा में ओरोबांकी के निधान हेतु फसल चक्र अपनाने की सलाह


डॉ हरीदयाल ने बताया की ओरोबैंकी की रोकथाम हेतु फसल चक्र अपनाएं, खासतौर पर सरसों की जगह गेहूं, जौ या चना फसल चक्र अपनाया जाना चाहिए. हमेशा स्वस्थ एवं प्रमाणित बीज, जो परजीवी बीजों से मुक्त हों, बुआई के काम में लें. ओरोबैंकी से प्रभावित खेत के बीज का उपयोग नहीं करें. समय-समय पर बीज व किस्म बदल कर बुवाई करें. सिंचित फसल की अवस्था में अंकुरण के 25 दिनों बाद 25 ग्राम व 50 दिनों बाद 50 ग्राम ग्लाइफोसेट 4 प्रतिशत का स्प्रेयर को जड़ों की तरफ निर्देशित करते हुए, छिड़काव करने पर इस खरपतवार का नियंत्रण किया जा सकता है.


ग्लाइफोसेट का सही मात्रा व तरीके से स्प्रे नहीं करने से सरसों/रायड़ा की फसल को नुकसान हो सकता है. रसायन का स्प्रे करते समय फसल की मिट्टी में नमी होना आवश्यक है. इसके लिए छिड़काव के दो-तीन दिन पहले या बाद में सिंचाई अवश्य करें. पौधे पर सुबह के समय आए औंस के दौरान स्प्रे नहीं करें.


करणी पूरा व पंडितजी की ढाणी में बीज मेला व किसान संगोष्ठी का आयोजन


एफपीओ की ओर से आयोजित हो रहें बीज मेला व किसान संगोष्ठी के क्रम में करणी पूरा व पंडित जी की ढाणी में आयोजन किया गया. एफपीओ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कैलाश ने बताया की संगठन की ओर से बीज मेले के दौरान प्रगतिशील किसानों के पास उपलब्ध बीज को बदलने की सेवा भी उपलब्ध करवाई जा रही है, इससे एक गांव से प्राप्त बीज को दूसरे गांव के किसानों को देकर बीज बदलने का कार्यक्रम किया गया. बीज मेला में एफपीओ के आदान विक्रय केंद्र पर उपलब्ध विभिन्न फसलों के अलग अलग किस्मों के बीज, बीज उपचार व खरपतवार नाशी की जानकारी व विक्रय हेतु बुकिंग की सुविधा दी गई. कृषि विश्वविद्यालय व इससे संबंधित संस्थानों द्वारा तैयार बीजों भी उक्त संगोष्ठियों में मौजूद रहें. इस दौरान किसानों को एफपीओ की ओर से करवाई गई मिट्टी जांच रिपोर्ट का वितरण किया गया.


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