Jodhpur: लहसुन के भावों में मंदी के चलते किसान बाजार हस्तक्षेप नीति के तहत लहसुन खरीद करने अथवा भावंतर भुगतान योजना के तहत किसानों को राहत देने की मांग कर रहे थे. इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने हस्तक्षेप करते हुए राज्य सरकार से लहसुन खरीद का प्रस्ताव भेजने पर केन्द्र से खरीद की अनुमति दिलाने का आश्वासन दिया था. ऐसे में प्रदेश सरकार ने लहसुन खरीद हेतु केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जिसमें 29.57 रुपए प्रति किलो लहसुन खरीद करने का प्रस्ताव भेजा. जिसे केन्द्र सरकार ने मंजूरी दे दी, लेकिन किसान राज्य सरकार की ओर से केन्द्र सरकार को भेजी लहसुन की लागत दर को लेकर आक्रोशित है.


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भारतीय किसान संघ के प्रांत अध्यक्ष मानकराम परिहार ने लहसून की दर को संशोधित नहीं करने पर किसानों के आंदोलन को मजबूर होने की चेतावनी दी है. परिहार ने बताया की 2018 में लहसून खरीद हेतु राज्य सरकार ने 32.50 रुपए क्विंटल लहसून की लागत मानी थी, ऐसे में वर्तमान में बढ़ी इनपुट लागत के अनुसार लहसून की लागत दर 50 रुपए किलो है. इसके बावजूद प्रदेश की ओर से 29.57 रुपए किलो से लहसून खरीद का प्रस्ताव भेजा है जो किसानों के साथ धोखा . अगर सरकार इस दर में संशोधन नहीं करती है तो किसान आंदोलन को मजबूर होंगे.


लहसुन की उत्पादन लागत प्रति बीघा


बीज खर्च - ₹9000


बुवाई - ₹12000

सिंचाई बिल - ₹4000


सिंचाई मजदूरी - ₹3500
जमीन किराया - ₹2000


लहसुन कटाई - ₹6000
पैकिंग व ढुलाई- ₹3500


कुल लागत - ₹39000
प्रति बीघा लहसुन उत्पादन - 8 किंवटल
उत्पादन लागत- ₹48.75 प्रति किलो


बजट में बचत और खरीद ओपचारिकता के लिए लागत कम तय की
भारतीय किसान संघ के प्रदेश मंत्री तुलछाराम सिंवर ने बताया की राज्य सरकार द्वारा उद्यानिकी विभाग से रिपोर्ट प्राप्त लहसून व प्याज उत्पादन की अनुमानित लागत तय की जाती है. जिसका प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा जाता है. केन्द्र सरकार की मंजूरी के आधार पर उसी तय लागत अनुसार इन फसलों की खरीद की जाती है. चूंकि बाजार हस्तक्षेप नीति के तहत फसल खरीद में 50 प्रतिशत बजट राज्य सरकार को देना होता है, ऐसे में फसल की लागत निकालते समय उसे कम रखने का उद्यानिकी विभाग पर दबाव रहता है. जिससे फसल की खरीद कम हो ओर खरीद की औपचारिकता भी हो जाएं.


1.07 लाख मीट्रिक टन लहसून व 2.56 लाख टन प्याज खरीद की केन्द्र से मिली अनुमति
प्रदेश में 9 लाख मीट्रिक टन लहसून व 15 लाख मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन के अनुमान है. लेकिन इन दोनों ही फसलों का बाजार भाव लागत से नीचे है. ऐसे में किसानों की इन फसलों की बाजार हस्तक्षेप नीति (MIS) योजना के तहत खरीद करने अथवा भावंतर भुगतान करने की मांग पर राज्य सरकार ने केन्द्र को खरीद का प्रस्ताव भेजा था जिसे मंजूरी मिल गई. सरकार प्रदेश में 1 लाख 7 हजार 836 मीट्रिक टन लहसुन व 2 लाख 56 हजार 400 मीट्रिक टन प्याज की खरीद करने की तैयारी कर रही है. इस खरीद हेतु 7393 रुपए टन लहसून व 1945 रुपए टन प्याज का ट्रांसपोर्ट, बरदान, मंडी टैक्स इत्यादि के खर्च हेतु अलग से प्रावधान है.


 


प्याज की वास्तविक लागत से खरीद बहुत कम, किसान आक्रोशित
राज्य सरकार ने प्याज की लागत 7.78 रूपये प्रति किलो मानते केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था. ये दर प्याज की वास्तविक लागत 12.50 रूपये किलो से बहुत कम है.केन्द्र सरकार की अनुमति मिलने के बाद राज्य सरकार बाजार हस्तक्षेप नीति के तहत प्रदेश में 7.78 रुपए किलो से 2 लाख 56 हजार 400 मिट्रिक टन प्याज खरीद की तैयारी कर रही है.


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किसानों का मानना है की पहले तो प्याज की लागत से खरीद दर बहुत कम है वही प्रदेश में लगभग 15 लाख टन प्याज का उत्पादन हुआ है उसके मुकाबले खरीद लक्ष्य बहुत कम है. भारतीय किसान संघ ने मांग कि है की प्याज के खरीद मूल्य में बढ़ोतरी कर भावंतर भुगतान कर किसानों को राहत दिलवावे जिससे खरीद में होने वाले खर्च की बचत होगी और उसका लाभ किसानों को दिया जा सके. खरीद के पश्चात प्याज का भंडारण नहीं किए जा सकने के चलते मंडियों में बाजार हस्तक्षेप नीति के तहत खरीदी प्याज की आवक बढ़ने से बाजार भावों के ओर अधिक गिरावट आएगी, जिससे प्याज खरीद के बाद शेष 13 लाख टन प्याज में किसानों नुकसान उठाना पड़ेगा.


प्याज की उत्पादन लागत प्रति बीघा


बीज खर्च - ₹5000


पौध तैयारी खर्च - ₹5000
जुताई व बुवाई - ₹9000


देशी खाद - ₹3000
सिंचाई बिल - ₹4000


सिंचाई मजदूरी - ₹3500
जमीन किराया - ₹2000


प्याज खुदाई - ₹6000
पैकिंग व ढुलाई- ₹3500


कुल लागत - ₹40000
प्रति बीघा प्याज उत्पादन - 32 किंवटल


उत्पादन लागत- ₹12.50 प्रति किलो


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